Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 494
________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: निरयावलिका वर्गः 1 ] / / 467 रेणं वजमाणेणं महया उकिट्ट-सोहनायबोल-कलकलरवेणं समुद्दरवभूयं पिव करेमाणा सव्विड्डीए जाव रवेणं हयगया हयगएहिं गयगया गयगतेहिं रहगया रहगतेहिं पायत्तिया पायत्तिएहिं अन्नमन्नेहिं सद्धिं संपलग्गा यावि. होत्था 1 / तते णं ते दोगह वि रायाणं अणीया णियग-सामीसासणाणुरत्ता महता जणक्खयं जणवहं जणप्पमह जणसंवट्टकप्पं नच्चंतकबंधवारभीमं रुहिरकदमं करेमाणा अन्नमन्नेणं सद्धिं जुझंति 2 / तते णं से काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव मणूसकोडीहिं गरुलवहेणं एकारसमेणं खंधेणं कूणिएणं रराणा सद्धिं रहमुसलं संगाम संगामेमाणे हयमहित जहा भगवता कालीए देवीए परिकहियं जाव जीवियायो ववरोवेति 3 // सू० 50 // तं एवं.खलु गोयमा ! काले कुमारे एरिसएहिं प्रारंभेहिं जाव एरिसएणं असुभकडकम्मपन्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमामे नरए नेरइयत्ताए उववन्ने // सू०५१ // काले णं भंते ! कुमारे चउत्थीए पुढवीए अणंतरं उपट्टित्ता कहिं गच्छहिति ? कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवंति अड्डाई जहा दढप्पइन्नो जाव सिज्झिहिति बुझिहिति जाव अंतं काहिति // सूत्रं 52 // तं एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अझयणस्स अयमढे पन्नत्ते // सूत्रं 53 // // पढमं अज्झयणं समत्तं // 1 // ___ जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स श्रज्झयणस्स अयम? पनत्ते, दोच्चस्स णं भंते अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं के अट्ठ पन्नत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नगरी होत्था, पुन्नभद्दे चेइए, कोणिए राया, पउमावई देवी 1 / तत्थ णं पाए नयरीए सेणियस्स रनो भज्जा कोणियस्त रनो चुल्लमाउया सुकाली नाम देवी होत्था, सुकुमाला 2 /

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