Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीनिरयावलिकासूत्रं : निरयावलिकावर्गः 1] [ 456 माणे एवं वदासि-अहो णं मए अधन्नेणं अपुन्नेणं अकयपुन्नेणं दुठुकयं सेणियं रायं पियं देवयं गुरुजणगं अच्चंतनेहाणुरागरत्तं नियलबंधणं करतेणं मम मूलागं चेव णं सेगिए राया कालगते त्ति कटु ईसरतलवर जाव संधिवालसद्धिं संपरिखुडे रोयमाणे 4 महया इडिसकारसमुदएणं सेणियस्स रनो नीहरणं करेति, बहूई लोइयाइं मयकिच्चाई करेति 2 / तते णं से कूणिए कुमारे एतेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूते समाणे अनदा कदाइ अंतेउरपरियालसंपरिबुडे सभंडमत्तोवकरणमाताए रायगिहातो पडिनिक्खमति 2 जेणेव चंपा नगरी तेणेव उवागच्छद, तत्थ वि णं विपुलभोगसमितिप्तमन्नागए, कालेणं अप्पसोए जाव यावि होत्था 3 // मू० 31 // तते णं से कूणिए राया अन्नया कयाइ कालादीए दस कुमारे सहावेति 2 रज्जं च जाव जणवयं च एकारसभाए विरिंचति 2 सयमेव रजसिरिं करेमाणे पालेमाणे विहरति / सू० 32 // . तत्थ णं चंपाए नगरीए सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए कूणियस्स रन्नो सहोयरे कणीयसे भाया वेहल्ले नामं कुमारे होत्था सोमाले जाव सुरूवे 1 / तते णं तस्म वेहल्लस्स कुमारस्स सेणिएणं रन्ना जीवंतएणं चेव सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसर्वके हारे पुवदिन्ने 2 / तए णं से वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा अंतेउरपरियालसंपरिबुडे चंपं नगरिं मझ मझेणं निग्गच्छइ 2 अभिक्खणं 2 गंगं महानई मज्जणयं भोयरइ 3 / तते णं सेयणए गंधहत्थी देवीश्रो सोंडाए गिराहति 2 अप्पेगइयायो पुढे ठवेति, अप्पेगइयायो खंधे ठवेति, एवं अप्पेगइयायो कुंभे ठवेति, अप्पेगइयायो सीसे ठवेति, अप्पेगइयायो दंतमुसले ठवेति, अप्पेगइयायो सोंडाए गहाय उड्डे वेहासं उविहइ, अप्पेगइयायो सोंडागयात्रो अंदोलावेति, अप्पेगइयाश्रो दंतंतरेसु नीति, अप्पेगइयायो सीभरेण(असीतरणे) राहाणेति, अप्पेगइयायो श्रणेगेहिं कीलावणेहिं कीलावेति 4 // सू० 33 // तते णं चंपाए

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