Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 472
________________ श्रीमत्सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रं : प्रा० 20] [ 445 कामभोगे पञ्चशुभवमाणे विहरिजा 3 / ता से णं पुरिसे विउसमणकालसमयंसि करिसए सातासोक्खं पचणुभवमाणे विहरति ?. उरालं समणाउसो !, ता तस्स णं पुरिसस्स कामभोगेहिंतो एत्तो श्रणंतगुणविसिट्टतरा चेव वाणमंतराणं देवाणं कामभोगा 4 / वागामंतराणं देवाणं कामभोगेहितो अणंतगुणविसिटुतरा चेव असुरिंदवजियाणं भवणवासीणं देवाणं कामभोगा 5 / असुरिंदवजियाणं देवाणं कामभोगेहिंतो एत्तो अणंतगुणविसिट्टतरा चेव असुरकुमाराणं इंदभूयाणं देवाणं कामभोगा 6 / असुरकुमाराणं देवाणं कामभोगेहितो अणंतगुणविसिट्ठतरा चेव गहणक्खत्त. ताराख्वाणं कामभोगा। गहगणक्खत्ततारारूवाणं कामभोगेहितो अणंतगुणविसिट्टतरा चेव चंदिमसूरियाणं देवाणं कामभोगा 8 | ता एरसिए णं चंदिमसूरिया जोइसिंदा जोइसरायाणो कामभोगे पञ्चणुभवमाणा विहरंति 1 // सूत्रं 105 // तत्थ खलु इमे अट्ठासीती महग्गहा पराणत्ता, तंजहाइंगालए वियालए लोहितके सणिच्छरे याहुणिए पाहुणिए कणो कणए कणकणए कणविताणए 10 कणगसंताणे सोमे सहिते अस्सासणो कजोवए कव्वरए अयकरए दुदु भए संखे संखणाभे 20 संखवण्णाभे कसे कंसणाभे कैसवराणाभे णीले णीलोभासे रुप्पे रुप्पोभासे भासे भासरासी 30 तिले तिलपुष्फवराणे दगे दगवराणे काये वंधे इंदग्गी धूमकेतू हरी पिंगलए 40 बुधे सुक्के बहस्सती राहू अगत्थी माणवए कामफासे धुरे पमुहे वियडे 50 विसंधिकप्पेल्लए पइल्ले जडियालए अरुणे अग्गिलए काले महाकाले सोथिए सोवत्थिए वद्धमाणगे 60 पलंबे णिचालोए णिच्चुजोते सयंपभे श्रोभासे सेयंकरे खेमंकरे श्राभंकरे पभंकरे अरए 70 विरए असोगे, वीतसोगे य विमले, विवत्ते विवत्थे विसाले साले सुब्बते अणियट्टी एगजडी 80 दुजडी कर करिए रायऽग्गले पुष्फकेतू भाव केतू 1 / संगहणी-इंगालए वियालए लोहितंके सणिच्छरे चेव / आहुणिए पाहुणिए: कणकसणामावि पंचेव // 1 //

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