Book Title: Agam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पय-६, दार-३ वेमाणियानवरं-जोइसिय-वैमाणिएसुचयणंति अभिलाओ कातब्यौ।१२६।-126
-: च उत्थं ए गत पप दारं :(३५२) नेरइया णं भंते एगसमएणं केवतिया उवनंति गोयमा जहण्णेणं एको वा दो वा तिणि दा उककोसेणं संखेज्जा वा असंखेजावा उबवजंति एवं जाय अहेसत्तमाए, असरकमाराणं भंते पुच्छा गोयमा जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेजा या एवं नागकुमाराजाच धणियकुमारा विभाणियब्वा, पुढविकाइया णं पृच्छा गोयमा अणुसमयं अविरहियं असंखेजा उववनंति एवं जाव वाउकाइया, वणस्सतिकाइयाणं पुच्छा गोयमा सट्ठाणुववायं पडुन अणुसमयं अविरहिया अनंता उववनंति पाहाणुववायं पडुच्च अणुसमयं अविरहिया असंखेजा उववजंति, बेइंदिया णं पुच्छा गोयमा जहण्णेणं एगो या दो वा तिण्णि वा उक्कोसेणं संखेजा वाअसंखेना वा एवं तेइंदिया वउरिदिया, सम्मुच्छिमपंचेंदियतिरिक्खजोणियागमवक्कतियपंचेंदियतिरिक्खजोणिया सम्मुच्छिममणुस्सा वाणमंतर-जोइसिय-सोहम्मी- साण-जाव सहस्सारकप्पदेवा-एते जहा नेरइया गमव- ककंतियमणुस्सा आणय-पाणय-जाव अनुत्तरोववाइया य - एते जहणेणं एकको वा दो या तिण्णि वा उक्कोसेणं संखेज्जा उववन्जंति सिद्धाणं भंते एगसमएणं केवतिया सिझंति गोयपा जहपणेणं एकको वादो वा तिण्णि वा उक्कोसेणं अट्ठसतं ।१२७८-127
३३३) नेरइया णं भंते एगसमएणं केवतिया उन्नति गोयमा जहण्णेणं एकको वा दो वा तिण्णि या उक्कोसेणंसंखेना वाअसंखेना वा उव्यति एवं जहा उववाओ भणितो तहा उव्वणा वि सिद्धवन्ना भाणितव्वा जाव अनुत्तरोक्वाइया नवरं-जोइसिय-वेमाणियाणं चयणेणं अभिलाओ कातव्यो।१२८1-128
-: पंच म क तो दारे:(३३४) नेरइया णं भंते कतोहिंतो उववनंति किं नेरइएहिंतो उववजंति तिरिक्खजोणिहिंतो उववर्जति मणुस्सेहिंतो उववनंति देवेहितो उववर्जति गोयमा नो नेरइएहितो उववनंति तिरिक्खजोणिएहितो उववर्जति मणुस्सेहिंतो उववनंति नो देवेर्हितो उववनंति, जदि तिरिक्खजोणिएहिंतो उववनंति किंएगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उवयजंतिजाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववर्जति गोयमा नो एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो नो बेइंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो नो तेइंदियतिरिक्खजोणिएहितो नो चउरिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति पंचेंदियतिरिक्खजोगिएहिंतो उववनंति, जदि पंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो उववनंति किं जलयर० यलयर० खहयर० गोचमा जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववजति घलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववखंति खहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववखंति, जदि जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववशति कि सम्मुच्छिम० गमवकूकंति० गोयमा सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उवयजति गमवक्कंतियजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववनंति, जदि सम्मुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववअंति किंपनत्तय० अपजत्तय० गोयमा पज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजति नो अपज्जत्तयसम्मुच्छिमजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो उववअंति, जदि गब्यवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववनंति किं पज्जत्तग० अपज्जत्तय० गोयमा पञ्जत्तयगमवक्कंतियजलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति नो अपजत्तगगम्भवक्कंतियजलयरपंचेदियतिरिक्ख158
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