Book Title: Agam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 95
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८६ पन्नक्सा -11-1५/३४ संखेनवासाउयकम्मभूमगगमवक्कतियमणुस्सेहिंतो उववजंति किं सम्मद्दिष्टि मिच्छद्दिष्टिः सम्मामिच्छद्दिवि० गोयमा सम्मद्दिछिपजत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमगगमवक्कंतियमणुस्सेहितो उववजंति मिच्छद्दिट्ठिपजत्तरोहिंतो उववनंति नो सम्ममामिच्छाद्दिद्विपज्जत्तगेहिंतो उववनंति, जदि सम्पदिविपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगमवक्कतियमणुस्सहिंतो उववनंति किं संजतसम्मद्दिष्टीहिंतो असंजतसम्मद्दिडीहितो संजयासंजयसम्मबिटिपजत्तगसंखेज्झवासाउएहिंतो उववनंति गोयमा तीहितो वि उवयजंति एवं जाव अच्चुओ कप्पो एवं गेवेजगदेवा वि नवर-असंजतसंजतासंजतेहित विएते पडिसेहेयव्वा एवं जहेव गेवेञ्जगदेवा तहेव अनुत्तरोववाइया वि नवरं-इमं नाणत्तं संजया चेव जदि संजतसम्मद्दिद्विपजत्तसंखेजवासाउयकम्मभूमगगमवक्कैतियमणुस्सेहिंतो उववजंति किं पमत्तसंजतएहितो अपमत्तसंजतेहिंतो उववर्जति गोयमा अपमत्तसंजएहितो उववजीत नो पमत्तसंजएहितो उववजंति, जदि अपमत्तसंजएहितो उवचजंति किं इद्द्विपत्तअपमत्तसंजतेहिंतो अणिढिपत्तअपमत्तसंजतेहितो गोयमा दोहितो यि उववनंति ।१३७१ -137 - छ ज व वदृ णा दा :(३४५) नेरइया णं भंते अनंतरं उव्यट्टित्ता कहिं गच्छति कहिं उववनंति किं नेरइएसु जाय देवेसु उबवजंति गोयमा नो नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववजंति मणुस्सेसु उववतंति नो देवेसु उववनंति, जदितिरिक्खजोणिएसु उववजंति किं एगिदियतिरिक्खजोणिएसुजाव पंचेदियतिरिक्खजोणिएसु० गोयमा नो एगिदिएसु जाव नो चउरिदिएसु उववनंति पंचेदिएसु उववनंति एवं जेहिंतो उववाओ मणितो तेसु उव्वट्टणा वि माणितव्या नवरं-सम्मुच्छिमेसुन उववजंति एवं सब्वपुढवीसु माणितव्यं नवरं-अहेसत्तमाओ मणुस्सेसुन उववनंति ।१३८1-138. (३४६) असुरकुमारा णं भंते अनंतरं उबट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववजंति किं नेरइएसु जाव देवेसु उववनंति गोयमा नो नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववजंति मणुस्सेसु उववजंति नो देवेसु उववर्जति जदि तिरिक्खजोणिएसु उववख्रति किं एगिदियतिरिक्ख-जोणिएसु जाव पंचेदियतिरिक्खजोणिएसु० गोयमा एगिदियतिरिक्खजोणिएसु उववजंति नो वेइंदियएसु जाव नो चउरिदिएसु उववजंति पंचेदियतिरिक्खजोणिएसु उववजंति, जदि एगिदिएसु उववञ्जति किं पुढविकाइएगिदिएसु जाव वणस्सइकाइएगिदिएसु० गोयपा पुढविकाइएगिदिएसु वि आउकाइयएगिदिएसु वि उववजंति नो तेउकाइएसु नो पाउकाइएसु उववजंति वणस्सइकाइएसु उववर्जति जदि पुढविकाइएसु उववजंति किं सुहुमपुढविकाइएसु बादरपुढविकाइएसु० गोयमा बादरपुढविकाइएसु उववज्रति नो सुहमपुढविकाइएसु, जदि बादरपुढविकाइएसु उववनंति किं पनत्तगबादरपुढविकाइएसु अपज्जत्तगवायरपुढविकाइएसु० गोयमा पजत्तएसु उववजंति नो अपञ्जत्तएसु एवं आउवणस्सतीसु वि भाणित पंचेंदियतिरिक्खजोणिय-मणुस्सेसु य जहा नेरइयाणं उबट्टणा सम्मुच्छिमवजा तहाभाणितव्वा एवं जाव थणियकुमारा।१३९।-139 (३४७) पुढविकाइया णं भंते अनंतरं उबट्टित्ताकहिं गच्छन्ति कर्हि उववजंति किं नेरइएसु जाव देवेसु गोयमा नो नेरइएसु उववनंति तिरिक्खजोणिय मणुस्सेसु उववजंति नो देवेसु एवं जहा एतेसिं चेव उववाओ तहा उच्चट्टणा वि देववजा भाणितव्वा एवं आउ-वणस्सइ-वेइंदिय तेइंदियचरिदिया वि एवं तेऊ वाऊवि नवरं-मगुस्सवजेसु[उववनंति ।१४०|-140 (३४८) पंचेदियतिरिक्खजोणिया णं भंते अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उवदजंति For Private And Personal Use Only

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