Book Title: Agam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पन्नवणा - 10/-H
मेसिय अवत्तव्यए नो चरिमाइंनो अचरिमाईनो अयत्तव्ययाईसिय वरिमेय अचरिमेय सिय चरिमे व अचरिमाइं च सिय चरिमाई च अचरिमे य सिय चरिमाई घ अचरिमाइं च सिय चरिमे य अवतब्बए य सिय चरिमे य अवत्तव्वयाइं च सिय चरिमाइं च अवत्तवए य सिय चरिमाई च अवत्तब्बयाई च नो अचरिमे य अवत्तव्वए नो अचरिमे य अवत्तव्ययाई च नो अचरिमाई च अवत्तव्यए य नो अचरिमाइंट अवत्तव्वयाइंच सिय चरिमे अचरिमे य अवत्तव्वएय सिय चरिमेय अचरिमे य अवत्तव्ययाइं व सिय बरिसे य अचरिमाइंच अवत्तव्वए य नो चरिमे य अचरिमाइंच अवत्तव्ययाइं च सिय अवत्तव्यए य नो चरिमे य अचरिमाइं च अवतव्बयाई च सिय चरिमाइंच अचरिमे य अवत्तव्वए य सिय चरिमाइंच अचरिमे य अवत्तव्ययाई चसिय चरिमाइंच अचरिमाइं च अवत्तव्यए य सिय चरिमाइंच अचरिमाइंच अक्त्तव्वयाइंच, अपट्ठपदेसिएणं मंते खंधे पुच्छा गोयमा अनुपदेसिए खंघे सिव चरिसे नो अचरिमे सिय अवत्तवए नो चरिमाई नो अचरिमाई नो अवत्तव्बयाई सिय चरिमे य अचरिमे य सिय चरिमे य अचरिमाइंच सिय चरिमाई च अचरिमे य सिघ चरिमाइंच अचरिमाई सिय चरिमेय अवत्तव्बए यसिय चरिमे य अवत्तब्बवाई सिय चरिमाई च अवत्तव्बए य सिय चरिमाइं च अवतव्बयाई च नो अचरिमे य अवत्तव्वए य नो अचरिपे य अवतव्ववाई च नो अचरिमाइं च अवत्तव्यए य नो अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइंच सिय चरिमेय अचरिमे य अवत्तव्यए य सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाइं व सिय चरिमे य अचरिमाइंच अवत्तव्बए य सियचरिमेय अचरिमाइंच अवत्तव्बयाईच सिय चरिपाइंच अचरिमेय अवत्तव्वए यसिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्बयाइंच सिय चरिमाइंच अचरिमाइंच अवत्तब्बए य सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तब्बयाई च, संखेजपएसिए असंखेजपएसिए अनंतपएसिए खंधे जहेव अष्टुपदेसिए तहेवपत्तेयं माणितव्वं ।१५८५-158 (३६६) परमाणुम्मि य ततिओ पढमो ततिओ यहोति दुपदेसे पढमो ततिओ नवमो एक्कारसमोय तिपदेसे
!१८५||-1 (३६७) पढमो ततिओ नवमो दसमो एक्कारसोयबारसमो भंगा चउप्पदेसे तेवीसइमोय बोद्धच्चो
॥१८६/-2 (३६८) पढमो ततिओ सत्तम नव दस एक्कार बार तेरसमो तेवीस छउव्वीसो पणुवीसइमो य पंचमए
॥१८७1-3 (३६९) बिचउत्थपंचछट्ट पनर सोलंच सत्तरहारं
वीसेककवीस बाधीसगंच वजेज छम्मि (३७०) बि चउत्थ पंच छटुं पत्रर सोलंच सत्तरद्वारं बावीसइमविहूणा सत्तपदेसम्मिखंधम्मि ।
||१८||-5 (३७१) बिचउत्य पंच छटुं पनर सोलंच सत्ताट्ठारं एते वञ्जिय भंगा सेसा सेसेसु खंधेसु
||१९०||-6 (३७२) कति णं मंते संठाणा पत्रत्ता गोवमा पंच संठाणा पन्नता तंजहा परिमंडले बट्टे तंसे चउरंसे आयते, परिमंडला णं मंते संठाणा किं संखेना असंखेज्जा अनंता गोयमा नो संखेज्जा नो असंखेज्जा अनंता एवं जाव आयता, परिमंडले णं भंते संठाणे किं संखेनपएसिए असंखेज्जपएसिए अनंतपएसिए गोयमा सिय संखेजपएसिए सिय असंखेजपदेसिए सिय अनंतपदेसिए एवं जाव आयते, परिमंडले णं मंते संठाणे संखेनपदेसिए कि संखेजपजदेसोगाढे असंखेजपदेसोगाढे
||१८८11-4
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