Book Title: Agam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पप-२६
१७३
एगविहबंधए वा नेरइए णं पुछा गोयमा सत्तविहबंधए वा अविहदंधए था एवं जाव वेमाणिए मणूसे जहा जीवे जीवाणं पुच्छा गोयमा सब्बे दिताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगायछविहबंधए यअहवा सत्तविहबंधगाय अडविहबंधगा य छबिहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगाय अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य अहवा सत्तविहवंधगा य अवि-इबंधगाय छव्विहबंधए य एगविहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्यिहबंधए य एगविहबंधगा य अहवा सत्तविहवंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहवंधगा य एगविहबंधए य अहया सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहवंधगा य एगविहबंधगा य एवं एते नव भंगा अवसेसाणं एगिदिय-मणसवजाणं तियमंगो जाव देमाणियाणं एगिदिया णं सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगाय, मणूसाणं पुच्छा गोयमा सब्बे विताव होजासत्तविहबंधगा अहया सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य छब्बिहबंधएय एवं छविहबंधएणविसमंदो भंगा एगविहवंधएणविसमंदो मंगाअहवासत्तविहबंधगा य अट्टविहवंधए य छब्बिहबंधए य चउभंगो अहवा सत्तविहबंधगा य अवयिहबंधए य चउमंगो अहवा सत्तविहबंधगा य छविहयंधगे य एगविहबंधए य चउभंगो अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहवंधए य छबिहबंधए य एगविहबंधए य मंगा अट्ठ एवं एते सत्तावीसं भंगा एवं जहा नाणावरणिचं तहा दरिसणावरणिज्जं पि अंतराइयं पि जीवे णं मंते बेयणिचं कामं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति गोयमा सत्तविहबंधए वाअट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए था अबंधए वा एवंमणूसे वि अवसेसा नारगादीया सतविहबंधगाय अट्टविहवंधगाय एवं जाव वेमाणिए जीवा णं मंते वेदणिनं कम्मं वेदपाणा कति कम्मपगडीओ बंधति गोयमा सब्बे विताच होता सत्तविहबंधगा य अट्ठविहवंधगा य एगविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अवविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधगा य अबंधगेण वि समंदो मंगा माणियब्बा अहया सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगाय एगविहबंधगा य छब्दिहबंधए य अबंघए य चउभंगो एवं एते नव भंगा एगिदियाणं अमंगयं नारगादीणं तियभंगो जाव वेमाणियाणं नवरं-मणूसाणं पुच्छा गोयमा सचे वि ताव होना सत्तबिहबंधगा य एगविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधए य अट्ठविहबंधएयअबंधएय एवं एते सत्तावीसं मंगा माणियव्वा जहा किरियासु पाणाइवायविरतस्स एवं जहा वेदणिलं तहा आउयं नामं गोयं च पाणियव्वं मोहणिशं वेदेमाणे जहा बंधे नाणावरणिज्जें तहामाणिय।३०२।301
छचीतइयं पयं सफ्त.
| सत्तावीसइम-कम्मवेयवेयगपर्य | (५४१) कति णं भंते कम्मपगडीओ गोयमा अढतंजहा-नाणावरणिज्नं जाव अंतराइयं एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं जीवे णं मंते नाणावरणिजं कम्पं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ देदेत्ति गोयमा सत्तविहवेदए या अठविहवेदए वा एवं मणूसे वि अवसेसा एगत्तेण वि पुहत्तेण वि नियमा अवविहकम्मपगडीओ वेदेति जाव वेमाणिया जीवा णं मंते नाणावरणिझं काम वेदेसाणा कति
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