Book Title: Agam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 132
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२५ नेगम-संगह-ववहार-उखुसुय-सदसममिस्ट-एवंभूयार्ण नयाणं जा गती अहया सम्बनया वि गं इच्छंति से तं नयगती, से किं तं छायागतीजण्णं हयच्छायं वागयच्छायंवा नरछायंया किन्नरच्छायं वा महोरगच्छायं वा गंधब्वच्छायं या उसहछायं वा रहच्छायं या छत्तच्छायं वा उवसंपज्जित्ताणं गच्छति से तं छायागती, से किंतं छायाणुवायगती-जण्णं पुरिसं छाया अनुगच्छति नो पुरिसे छायं अनुगच्छति से तं छायाणुवायगती, से किं तं लेस्सागती, -जण्णं कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तालवत्ताए तावण्णत्ताएतागंपत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुजो-भुजो परिणमति एवं नीललेस्सा काउलेस्सं पप्प ताप्लवत्ताए जाव ताफासताए परिणमति एवं काउलेस्सा वि तेउलेस्सं तेउलेस्सा दि पम्हलेसं पम्हलेस्सा विसुक्कलेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए परिणमति सेत्तं लेस्सागती, से किं तं लेस्साणुवायगती जल्लेस्साइंदचाई परियाइता कालं करेति तल्लेस्सेसु उववचंति तं जहाकण्हलेस्ससु वा जाव सुक्कलेस्सुसु वा से त्तं लेस्साणुयायगती, से किं तं उद्दिस्सपविभत्तगती जेणं आयरियं वा उवझायं वा थेरं वा पवर्ति वा गणिं वा गणहां वा गणावच्छेयं वा उद्दिसिय उद्दिसिय गच्छति से तं उद्दिस्सपविभत्तगती, से कि तं चउपुरिसपविभत्तगती से जहानामए-वत्तारि पुरिसा समगं पट्टित्ता समगं पनुवटिया समगं पहिया विसमं पञ्जवहिया विसमं पहिया समगं पजुवढ़िया विसमं पज्जुवट्ठिया से तं चउपुरिसपविभतगती, से कि तं वंकगती चउब्विहा० घट्टणया यंपणया लेसणया पवडणया से तं वंकगती, से किं तं पंकगती से जहानामए केइ परिसे सेयंसि वापंकसि वा उदयंसि वा कायं उब्बहिया गच्छंति से तं पंकगती, से किं तं बंधणविमोयणगतीजण्णं अंबाण या अंबाडगाण वा माउलुगाण वा बिल्लाण वा कविठ्ठाण वा भयाण वा फणसाण वा दालिमाण वा पारेवताण वा अक्खोडाण या चाराण या बोराण या तिंदुयाण वा पक्खाणं परियागयाणं बंधणाओ विप्पमुक्काणं निब्बाधाएणं अहे वीससाए गती पवत्तइ से तं बंधणविमोयगणती से तं विहायगती (सेत्तंगइप्पवाए २०५1203 सोतसमं पदं समतं. सत्तरसमं लेस्सापयं - पट मो उस ओ:(४२) आहार सम सरीरा उस्सासे काम यण्ण लेस्सासु समवेदण सपकिरिया माउया चेव बोधव्या ॥२०९।-1 (1४३) नेरइया णं भंते सव्वे समाहारा सब्वे समसरीरा सव्वे समुस्सासणिस्सा गोयमा नो इणटेसमट्टे से केणडेणं मंते एवं बुचति० गोयपा नेरइया दुविहा० महासरीरा य अप्पसरीराय तत्य णं जेते महासरीरा ते णं बहुतराए पोग्गले आहारेति एवं परिणामेति एवं ऊससंति एवं नीससंति, अभिक्खणं आहारेति एवं परिणामेति एवं ऊससंति एवं नीससंति तत्थ णं जेते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पोग्गले आहारैति एवं परिणामेति एवं ऊससंति एवं नीससंति आहच्च आहारेति आहच्च परिणामेति आहन ऊससंति आहच्च नीससंति से तेणटेणं गोयमा एवं वुच्चइ-नेरइया नो सव्ये समाहारा नो सब्वे समसरीरानो सब्बे समुस्सासणीसासा ।२०६।-206 (४४) नेरइयाणं भंते सव्वे समकम्मा गोयमानो इणद्वै समढे, सेकेणट्टेणं भंते एवं वुच्चति० गोयमा नेरइया दुधिहा पनत्ता ते जहा पुच्चोबवण्णगा य पच्छोववण्णगा य तत्थ णं जेते पुल्योववण्णगा ते णं अप्पकमतरागा तत्य णं जेते पच्छोववण्णगा ते णं महाकम्पतरागा से तेणटेणं For Private And Personal Use Only

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