Book Title: Agam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
फ्य-१७, खेसो-,
१२५
वत्तिया सेसंतंचेव।२१०|-210
(४६) मणूसाणं मंते सव्वे समाहारा गोयमा नो इणढे समढ़े से केणटेणं गोयमा मणूसा दुविहा० महासरीराय अप्पसरीरा य तत्थ णं जेते महासरीरा तेणं बहुतराए पोग्गले आहारेति जाव बहुतराएपोग्गले नीससंति आहच आहारेति जाव आहच्च नीससंति तस्थणं जेते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पोग्गले आहारेति जाव अप्पतराए पोग्गले नीससंति अभिक्खणं आहारेति जाव अभिक्खणं नीससंति से तेणद्वेणं० मणूसा नो सब्चे समाहारा सेसं जहा नेरइयाणं नवरं-किरियाहिं पणूसा तिविहा० सम्मदिट्टी मिच्छविठ्ठी सम्मामिच्छद्दिट्टी तत्थ णंजे तेसप्मद्दिट्टी तेतिविहा० संजया असंजया संजयासंजया तत्थ णं जेते संजया ते दुविहा० सरागसंजया य वीतरागसंजया य तत्य णं जेते वीतरागसंजया ते णं अकिरिया तत्य गं जेते सरागसंजया ते दुविहा० पमत्तसंजया व अपपत्तसंजया य तत्थ णं जेते अपमत्तसंजया तेर्सिएगा मायावत्तिया किरिया कजति तत्य णं जेते पमत्तसंजया तेसिं दो किरियाओ कजंति तं जहा आरंभिवा मायावतिया य तत्य णं जेते संजया संजया तेसिं तिष्णिकिरियाओ कति तं जहा-आरंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया तत्य णं जेते असंजया तेसिं चत्तारिकिरियाओ कन्जंति, आरंमिया अपच्चक्खाणकिरिया तत्थ णंजेते मिच्छद्दिट्टी जे य सम्मामिच्छद्दिट्टी तेसि नेयतियाओ पंच किरियाओ कजंति, आरंभिया जाय मिच्छादंसणवत्तियासेप्सं जहानेरइयाणं २११1-211
(९) वाणमंतराणं जहा असुरकुमाराणं एवं जोइसिय-वेमाणियाण वि नवरं-ते वेदणाए दुविहा पनत्ता तं जहा-माइमिच्छद्दिट्टीउववण्णगा य अमाइसम्महिटीउववण्णगा य तत्य णं जेते माइमिच्छद्दिष्टिउववण्णगा ते णं अप्पवेदणतरागा तत्य णं जेते अमाइसम्मद्दिवीउववष्णगा ते णं महावेधणतरागासे तेणद्वेणं गोपमा एवं वुच्चइ-सेसंतहेव।२१२१-211
(४५०) सलेस्साणंभंते नेरइया सव्ये समाहारा समसरीरा समुस्सासनिस्सासा सोदपुच्छा एवं जहा ओहिओ गमओ तहा सलेस्सगमओ वि निरवसेसो भाणियव्यो जाव वेमाणिया, कण्हतेस्सा णं भंते नेरइया सच्चे समाहारा समसरीरा समुस्सासणिस्सासा पुच्छा गोयमा जहा मोहिया नवरं-नेरइया वेदणाए माइमिच्छद्दिट्टीउववण्णगाय अमाइसम्मद्दिहिउववण्णगा य माणियव्व सेसं तहेव जहा ओहियाणं असुरकुमारा जाव वाणमंतरा एते जहा ओहिया नवरं पणूसाणं किरियाहिं विसेसो जाव तत्य णं जेते सम्मद्दिट्ठी ते तिविहा पन्नत्ता तं जहा संजया असंजया संजयासंजया य जहा ओहियाणं जोइसिय-वेमाणिया आइल्लिगासु तिसु लेस्सासु न पुछिजंति, एवं जहा किण्हलेस्सा चारिया तहा नीललेस्सा वि चारियव्या, काउलेस्सा नेरइएहितो आरमं जाव याणमंतरा नवरं-काउलेस्सा नेरइया वेदणाए जहा ओहिया, तेउलेस्साणं भंते असुरकुमाराणं ताओ
चैव पुच्छाओ गोयमा जहेव ओहिया तहेव नवरं-वेदणाए जहा जोतिसिया पुढवि-आउ-वणस्सइपंचेंदियतिरिक्खमणूसा जहा ओहिया तहेव माणियव्या नवरं-मणूसा किरियाहिं जे संजयातेपमत्ता य अपमत्ता य भाणियव्वा सरागा वीयरागा नत्यि, वाणमंतरा तेउलेस्साए जहा असुरकुमारा एवं जोतिसिय-वेपाणिया वि सेसं तं चेव, एवं पम्हलेस्सा वि भाणियच्या नवरं-जेसिं अत्यि सुक्कलेसा वि तहेव जेसिं अस्थि सव्वं तहेव जहा ओहियाणं गमओ नवरं-पम्हलेस्स-सुक्कलेस्साओ पंचेंदियतिरिक्खजोणिय-पणूस-वेमाणियाणं चेवन सेसाणंति।२१३|-213.
सत्तरसमे पये पटसो उद्देसजो समतो.
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210