Book Title: Agam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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पन्नवण-91-RIN तं उकरियाभेदे, एएसिणं मंते दव्याणं खंडाभेदेणं जाव उक्करियाभेदेण पा भिज्जमाणाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा गोयमा सव्यत्योवाई दवाई उक्करिया देणं भिजमाणाई, अनुतडियाभेदणं मिजमाणाई अनंतगुणाई, चुणियाभेदेणंभिज्जमाणाई अनंतगुणाई, पयराभेदेणंभिञ्जमाणाइं अनंतगुणाई, खंडाभेदेणंभिजमाणाईअनंतगुणाई।१७०|-170
(३९५) नेरइएणं मंते जाई दब्वाइं भासत्ताए गैण्हति ताई किं ठियाई गेण्हति अट्ठियाई गेण्हति गोयमा एवं चैव जहा जीवे यत्तव्यया मणिया तहा नेइयस्सवि जाव अप्पाबहुयं एवं एगिदियवज्जो दंडओ जाव वेमाणिया, जीवा णं मंतेजाइंदबाई मासत्ताए गेहंति ताई किंठियाई गेहंति अहियाई गेण्हंति गोयमा एवं चेव पुहत्तेणं वि नेयव्वं जाव वेमाणिया, जीये णं मंते जाई दव्वाईसच्चमासत्ताए गेहति ताई किं ठियाइं गेहति अहियाई गेहति गोयमाजहाओहियदंडओ तहा एसो वि नवरं विगलेंदिया न पुच्छिांति एवं मोसमासाए वि सधामोसमासाए वि असद्यामोसमासाए वि एवं चेद नवरं-असधामोसमासाए विगलिंदिया वि पुच्छिन्नति इमेणं अपिलावेणंविंगलिदिए णं मंते जाई दब्वाइं असचामोसमासत्ताए गेहति ताई किं ठियाई गेण्हति अट्ठियाई गेण्हति गोयमा जहा ओहियदंडओ एवं एते एगत्त-पुहत्तेणं दसदंडगाभाणियव्वा ।१७१।-171
(३९६) जीवेणं भंते जाइं दबाई सन्चभासताए गेहति ताई कि सबभासताए निसिरति मोसमासत्ताए निसिरति सच्चामोसमासत्ताए निसिरति असनामोसमासत्ताए निसिरति गोयमा समभासत्ताए निसिरति नो मोसमासत्ताए निसिरति नो सधामोसभासत्ताए निसिरति नो असनामोसमासत्ताए निसिरति एवं एगिदियविगलिंदियवज्जो दंडओ जाव वैमाणिए एवं पुहत्तेणं वि, जीवे णं मंते जाई दव्याई मोसमासत्ताए गेहति ताई कि सच्चभासत्ताए निसिरति असद्यामोसमासत्ताए निसिरति गोयमा नो सच्चभासत्ताए निसिरति मोसमासत्ताए निसिरति नो सच्चामोसभात्ताए निसिरति नो असच्चामोसमासत्ताए निसिरति एवं सच्चामोसभासत्ताए वि असच्चामोसमासत्ताए वि एवं चेवनवरं-असद्यामोसमासत्ताए विगलिदिया तहेव पुच्छिन्नतिजाए चेव गेण्हति ताए चेव निसिरति एवं एते एगत्तंपुहत्तिया अट्ठदंडगा माणियवा।१७२-172
(३१७) कतिविहे णं मंते वयणे पन्नत्ते गोयमा सोलसविहे वयणे पनत्ते तं जहा-एगवयणे दुवयणे बहुवयणे इस्थिवयणे पुमवयणे नपुंसगवयणे अज्झत्थवयणे उवणीयवयणे अवणीयवयणे उवणीयअवणीयदयणे अवणीयउवणीयवयणे तीतवयणे पडुप्पत्रवयणे अणागयवयणे पञ्चक्खवयणे परोक्खवयणे, इच्चेयं भंते एगवयणं वाजाव परोक्खवयणं वा वयमाणे पन्नवणी णं एसा मासा न एसा भासा मोसा, हंता गोयमा इच्चेयं एगवयणं वा जाव परोक्खवयणं वा वयमाणे पन्नवणी णं एसा भासान एसा मासामोसा ।१७३-173
(३९८) कतिणं भंते भासजाया पत्रत्ता गोयमा चत्तारि मासज्जाया पन्नत्ता तं जहा-सच्चमेगं मासज्जायं बितिय मोसंभासज्जायं ततियं सच्चामोसंभासज्जायं चउत्थं असच्चामोसंभासजाय, इभेयाई भंते चत्तारि भासझायाई भासमाणे किं आराहए विराहए गोयमा इच्चेयाई चत्तारि मासज्जायाई आउत्तं भासमाणे आराहए नो विराहए तेण परं अस्संजए अविरए अपडिहय-अपञ्चकखायपावकम्मे सच्चं याजाव असघामोसंवा मासं भासमाणे नोआराहए विराहए।१७४।-174
(३९१) एतेसिणं मंते जीवाणं सबभासगाणं मोसमासगाणं सच्चामोसभासगाणं असम्मामोसपासगाणं अमासगाणय कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा
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