Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
४४० सेठेन्द्रिय छवों हे मलपमहत्व छा थन
उ३४
उ४८
૩પ૩
૩૬૨ उ७७
3८३
3८६
363
पांयवी प्रतिपत्ति ४४५ छह प्रष्ठार हे संसारी छवो ठा निरुपाया४५ पृथ्वीठायाहिछह प्रठार छवों छा मेवं सुक्ष्म
पृथ्वीष्ठाय आहिछवों छा अल्पमत्व छा ज्थन४६ आरछायाधिवों ही स्थिति मेवं याघ्राष्टिछवों
ठे अपनत्व हा निरुपाया४७ निगोडवों छा स्वरुप निरुपाय
छट्टि प्रतिपत्ति ४८ सात प्रष्ठार हे संसारी छवों छा निरुपाया
सातवी प्रतिपत्ति ४८ आठ प्रष्ठार ठे संसारी छवों छा निरुपा
आठवी प्रतिपत्ति ५० नव प्रचार संसारी छवों छा निरुपाया
नववी प्रतिपत्ति ५१ हश प्रष्ठार हे संसारी छवोंछा निरुपाया
सवी प्रतिपत्ति ५२ संसारासंसारसभापन्न सर्व छवों ही
द्वैविध्यता ठा निरुपाया43 सर्व छवों हे विध्यता छा थन५४ सर्वछावों हे यतुर्विधता हा निरुपाया५५ सर्वछावोंठे पांयप्रठारता छा निरुपाया५६ सर्व छवों छह प्रठारता ठा निरुपायाપ૭ सर्व छवों छे सप्त प्रष्ठारता ठा निरुपाया
सर्व छवोंठे आठ प्रठारता छा निरुपाया५८ सर्ववों नवप्रठारता ठा निरुपाया६० सर्व छवों शप्रठारता ठा निरुपाया
सभाप्त
उ८६
४०१
૪૨૨
४३४
४४६
४४८
૪પ૭
4८
४६२
४७० ४७८
જીવાભિગમસૂત્રા
Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 498