Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणीटीका अ. २. धन्यस्य मोक्षवर्णनम्
६६३ बहूनि वर्षाणि श्रामण्यपर्यायं पालयित्वा भकं प्रत्याख्याति, प्रत्याख्याय मासिक्या संलेखनया षष्टि भक्तानि अनशनेन छिनत्ति, छिच्या कालमासे कालं कृत्वा सौधर्म कल्पे देवत्वेन उपवन्नः। तत्र खलु अस्त्येककानां देवानां चत्वारि पल्योपमानि स्थितिः प्रज्ञप्ता, तत्र खलु धन्यस्य देवस्य चत्वारि पल्योपमानि स्थितिः प्रज्ञप्ता। स खलु धन्यो देवस्तस्माद्देवलोकात् आयुः धम्मं सोचा एवं वयासी) इसके बाद उस धन्यसार्थवाहने धर्म सुनकर इस प्रकार कहा-(सदहामि णं भंते निग्गंथे पावयणे जाव पवइए जाव बहूणि वासाणि सामन्नपरियागं पाउणित्ता भत्तं पञ्चक्खाइ) हे भदंत ! मैं निर्गन्थ प्रवचन को श्रद्धा करता हूँ। यावत् वह प्रत्रजित हो गया। बहुत वर्षों तक उसने श्रामण्य पर्याय का पालन किया-बाद में उसने चतुर्विध भक्त को प्रत्याख्यान कर दिया ।-(पच्चक्खित्ता मासियाए संलेहणाए सर्टिभत्ताई अणसणाए छेदेइ) प्रत्याख्यान करके १ एक मास की संलेखना से उसने ६० भक्तो को अनशन द्वारा छेद दिया-(छेदित्ता काल मासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवताए उववन्ने) छेदकर फिर वह मृत्यु के अवसर आने पर मरा-और मर कर सौधर्म कल्प में देव की पर्याय से उत्पन्न हो गया। (तत्थणं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारिपलिओवमाई ठिई पण्णत्ता) बहां कितनेक देवों को चार पल्योवमप्रमाणस्थिति कही गई है सो (तत्थणं धण्णस्म देवस्स चत्तारिपालोक्माई ठिइ पण्णता) इसमें धन्यकुमार देवकी वहां चार एवं वयासी त्या२ पछी धर्म-देशनानु श्रवण ४शने धन्य सार्थवाडे ४ह्युसदहामिण भते निग्गथे पावयणे जाव पवइए जाब बहूणि वासाणि सामन्नपरियाग पाउणिता भत्तंपञ्चक्खाइ) है महत! निथ प्रवयनमा હું સારી પેઠે શ્રદ્ધા ધરાવું છું. આ રીતે ધન્ય સાર્થવાહ પ્રજિત થઈ ગયા. ઘણાં વર્ષો સુધી તેઓએ શ્રમણ્ય પર્યાયનું પાલન કર્યું. ત્યાર બાદ તેમણે ચતુવિધ सतनु प्रत्याध्यान अयु. (पञ्चक्वित्ता मासियाए संलेहणाए सढि भत्ताई अणसणाए छेदेइ) प्रत्याज्यान शने मे महिनानी सोमनातेमण सा58 मतानु मनशन 43 छन यु. (छेदित्ता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने) छेहन या ा मृत्युनो मत ल्यारे माव्यो त्यारे तेसो भ२ पाभ्या भने भ२९॥ पाभीन सौधर्म ४६५मा हेवनी पर्यायथी तो उत्पन्न भ्या. (तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओचमाई ठिई पण्णत्ता) त्यां - सा हेवानी स्थिति या२५च्यापम प्रभा सी छे. (तत्थ णं च धण्णस्स देवस्स चत्तारिपलिओमाइ ठिई पण्णता) ॥ शेते धन्यमा२ हेक्नी स्थिति त्यां यार
શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૧