Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 702
________________ ६९० ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रे कुर्वन्तु खलु देवानुप्रियाः किं-कथमिहागमनप्रयोजनं जातं ? ममोपरि भवद्भयां महती कृपा कृता यतो मद्गृहे भवन्तौ समागतौ ततस्तदनन्तरं तौ सार्थवाहदारको देवदत्तां गणिकां प्रत्येवमवादिष्टाम् ‘इच्छामोणं' आवामिच्छावः खलु देवानुप्रिये युष्माभिः सार्द्ध सुभूमिभागस्योद्यानस्योद्यानश्रियं प्रत्यनुभवन्तौविहर्तुम् त्वया सार्द्धमावामुपवनदर्शनादिसुखं कर्तुमिच्छावोऽतस्त्वमावाभ्यां सार्द्ध मागच्छ, इति भावः। ततस्तदनंतरं खलु सा देवदत्ता तयोः सार्थवाहदारकयो. रेतमर्थ प्रतिशृणोति, प्रतिश्रुत्य स्नाता स्नानानन्तरं कृतकृत्या 'किं ते' किं तेन अलं तेन वर्णनेन 'पवरपरिहिया' प्रवरपरिहिता-पवरं यथा स्यात्तथा परिहिता, वस्त्रपरिधानकलाऽभिज्ञतया सुष्टुपरिधाना यावत् श्रीसमानवेषावेषश्रिया साक्षाल्लक्ष्मीवत् प्रतिभासमाना यत्रैव सार्थवाहदारको तत्रैव समागता ।मू.८। प्पिया ! किमिहागमणप्पओयणं) हे देवानुप्रियो ! कहिये किस प्रयोजन से यहां आना हुआ है ? (तएणं ते सत्यवाहदारगा देवदत्त गणियं एवं वयासी) देवदत्तागणिकाकी ऐसो बात सुनकर उन दोनों सार्थवाह पुत्रोंने उससे ऐसा कहा-(इच्छामो णं देवाणुप्पिए ! तुम्हेंहिं सद्धिं सुभूमिभागस्स उजाणस्स उजाणसिरि पच्चणुब्भवमाणा विहरित्तए) हे देवाणुप्रिय हमलोग यह चाहते है कि तुम्हारे साथ मुभूमिभाग उद्यान की शोभा का अनुभव करते हुए विचरण करें। (तएणं सा देवदत्ता तेसि सत्यवाहदारगाणं एयमपडिसुणेइ) इसके बाद उस देवदत्ताने उन सार्थवाहदारकों के इस कथन रूप अर्थ को स्वीकार कर लिया। (पडिसुणित्ता हाया कयकिच्चा किं ते पवर जाव सिरिसमाण वेसा जेणेव सत्यवाहदारगा तेणेव समागया) इसके पश्चात उसने स्नान किया स्नान कर वह कृत कृत्य हुई अब इस विषय में और है वानुप्रियो ! माज्ञा ४३॥ २॥ ॥२Yथी मडी मा५ ५धार्या छ।. (तरण ते सत्यवाहदारगा देवदत्तं गणिय एवं वयासी) गणुि पत्तनी बात सामणीने तेमागे --(इच्छामो णं देवाणुप्पिए! तुब्भेहिं सद्धिं सभूमिभागस्स उज्जाणस्स उजाणसिरिं पञ्चणुभवमाणा विहरित्तए) वानुप्रिये ! तमाश સાથે સુભૂમિભાગ ઉદ્યાનનું સૌદર્ય પાન કરતાં કરતાં ત્યાં વિહાર કરીએ એવી અમારી छ। छे. (तएणं सा देवदत्ता तेसिं सत्थवाहदारगाणं एयम8 पडिसुणेइ) त्यारे हेवहत्ताये सार्थवाड पुत्रोनी बात स्वीरी सीधी. (पडिमुणित्ता पहाया कय किच्चा किंते पवर जाव सिरिसमाणवेसा जेणेव सत्थवाहदारगा तेणेव समागया) त्या२ मा देवत्ताये स्नान यु भने स्नान ४ा पछी 20 विले શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાગ સૂત્રઃ ૦૧

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