Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 756
________________ ७४४ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रे 'ताहे' तदा तौ श्रृगालौ श्रान्तौ परितान्तौ निविण्णौ श्रान्तादिशब्दाः पूर्व व्याख्यातः, सन्तो, 'जामेव दिसि यस्या एवदिशः पञ्चम्यर्थे द्वितीया, आष त्वात, 'पाउन्भूया' प्रादुर्भूतौ, उपागतो, तामेव दिशं “ पडिगया" प्रतिगतौ प्रत्यावृत्त्य गतौ ॥ मू० १२ ॥ मूलम्त एणं से कुम्मए ते पापसियालए चिरंगए दूरणए जाणित्ता सणियं २ गीवंणीणेइ, णीणित्ता दिसावलोयं करेइ, करित्ता जमगसमगं चत्तारि वि पादे णीणेइ, णीणित्ता ताए उक्ट्रिाए कुम्मगईए वीइवयमाणे २ जेणेव मयंगतीरदहे तेणेव उवागच्छइ, उवा. गच्छित्ता मित्तनाइनियगसयगसंबंधिपरियणेणं सद्धि अभिसमन्नागए यावि होत्था ॥ सू. १३ ॥ ___टीका-ततः खलु स कूर्मकस्तौ पापथगालको चिरं गतौ र गतौ किया--तिबारा भी वैसा ही किया--परन्तु जब वे अपने कार्य में सफलित नहीं हुए (ताहे संता तंता परितंता निम्विन्ना समाणा जामेव दिसि पाउब्भूया तामेव दिसि पडिगया) तब श्रान्त, तांत और परितांत होकर अपने व्यापार से उदासीन हो गये और जहां से आये थे वहां ही चले गये। इन श्रान्त आदि पदों की व्याख्या पहेले की जा चुकी है। सू. १२ ॥ 'तएण से कुम्मए' इत्यादि । टीकार्थ--(तएण) इसके बाद (से कुम्मए) उस कच्छपने (ते पाव. सियालए) उन पापी श्रृगालोको (चिरंगए दरगए) "बहुत समय हो गया નાખવા માટે પ્રયત્ન કર્યા અને ત્રીજી વખત પણ તેમજ કર્યું પણ તેઓ કઇ पा शत शव्या नड, (ताहे संता तंता परितंता निम्विन्ना समाणा जामेव दिसिं पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया) त्यारे ते पापी श्रृा id did मने परिતાંત થઈને પિતાના વ્યાપારમાં એટલે કે કાચબાને મારવાના કામમાં ઉદાસીન થઈ ગયાઅને છેવટે જ્યાંથી આવ્યા હતા ત્યાં જ જતા રહ્યા. અહીં શ્રાંત વગેરે પદો આવ્યા છે તેની વ્યાખ્યા કરવામાં આવી છે. એ સૂત્ર ૧૩ છે 'तएण से कुम्मए' इत्यादि। टा--(तएण) त्या२॥ (से कुम्मए) ते यमाय (ते पावसियालए) पापी श्रादाने (चिरंगए दूरगए) 'ng quत थ गयो छे; तेसो पाई ६२ શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૧

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