Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥
सुयं मे आउसं ! तेणं ( आमुसंतेणं आवसंतेण पाठांतरं) भगवया एवमक्खायं इहमेगेसिं णो सण्णा भवइ । सूत्र १ तंजहापुरस्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, दाहिणाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, पच्चत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उड्डाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, अहो ( प्रत्यंतरं अथे) दिसाओ वा आगओ// अहमंसि, अण्णयरीओ वा दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि, एवमेगेसिं णो णायं भवति । सूत्रं २ । अस्थि मे आया उववाइए, के अहं आसी? के वाइओ चुए इह पेच्चा भविस्सामि?। सूत्रंसेजंपुण जाणेज्जासहसंमइयाए परवागरणेणं अण्णेसिं अंतिए वा सोच्ा, तंजहा पुरत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि जाव (प्र० एव दक्खिणा० ) अण्णयरीओ दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि, एवमेगेसिं जं शायं भवति अस्थि मे आया उववाइए, जो इमाओ दिसाओ अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ (अणुसंसरइ पा० ) सव्वाओ दिसाओ अणुदिसाओ, सोऽहं । सूत्रं ४ से आयावादी लोयावादी कम्मावादी किरियावादी सूत्रं ५ ।। अकरिस्सं चऽहं, कारवेसु चऽहं, करओ आवि समणुने भविस्सामि १६ ।एयावंति सघावंति लोगंमि कम्मसमारंभा परिजाणियव्वा
| ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र
| पू. सागरजी म. संशोधित
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