Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आयाविज वा ५० ॥से भि० अभि० वत्थं आ० ५० १० वत्थं थूणसि वा गिहेलुगंसि वा उसुयालंसि वा कामजलंसि वा अन्नयरे | तहप्पगारे अंतलिक्खजाए दुब्बद्ध दुनिक्खित्ते अणिकं चलाचले नो आ० नो ५० ॥से भिक्खू वा० अभि० आयावित्तए वा० तह० | वत्थं कुकियंसि वा मित्तंसि वा सिलसि वा लेलुंसि वा अन्नयरे वा तह अंतलि० जाव नो आयाविज वा ५० ॥ से भि० वत्थं आया० ५० तह० वत्थं खंघसि वा मं० मा० पासा० १० अन्नयरे वा तह० अंतलि. नो आयाविज वा ५० ॥ से तमायाए एगंतमवक्कमिज्जा २ अहे झामथंडिल्लंसि वा जाव अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिल्लंसि पडिलेहिय २ पमजिय २ तओ सं० वत्थं आयाविज वा पया०, एयं खलु० सया जइज्जासित्तिबेमि ३७१। अ०५ ३०१ ॥
से भिक्खू वा० अहेसणिजाई वत्थाई जाइज्जा अहापरिग्गहियाई वत्थाई धारिज्जा नो थोइज्जा नो रएज्जा नो धोयरत्ताई वत्थाई धारिजा अपलिउंचमाणो गामंतरेसु० ओमचेलिए, एयं खलु वत्थधारिस्स सामग्गियं ॥ से भि० गाहावइकुलं पविसिउकामे सव्वं चीवरमायाए गाहावइकुल निक्खमिज वा पविसिज वा० एवं बहिया विहारभूमि वा विद्यारभूमिं वा० गामाणुगामं वा दूइजिजा, अह पु० तिव्वदेसियं वा वासंवासमाणं पेहाए जहा पिंडेसणाए नवरं सव्वं चीवरमायाए ।३७२से एगइओ मुहत्तगं२ पाडिहारियं वत्थं जाइज्जा जाव एगाहेण वा दु० ति० चउ० पंचाहेण वा विष्यवसिय २ उवागच्छिज्जा, नो तह० वत्थं अपणो गिहिजा नो अनमन्त्रस्स दिज्जा, नो पामिच्चं कुज्जा, नो वत्थ्ण वत्थपरिमाणं करिज्जा, नो परं उसंकमित्ता एवं वइजा आउ० समणा ! अभिकंखसि वत्थं ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र
| पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147