Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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भि० अहं चं० नो उग्गहं उग्गिहिस्सामि, अन्नेसिंच उगहे उग्गहिए उवल्लिस्सामि, चउत्था पडिमा ३ । अहावरा० जस्स णं० अहं च खलु अपणो अढाए उगहं च ३०, नो दुहं नो तिण्हं नो चउण्हं नो पंचण्हं, पंचमा पडिमा ५ । अहावरा० से भि० जस्स एव उग्गहे उवल्लिइज्जा जे तत्थ अहासमनागए इकडे वा जाव पलाले तस्स लाभे संवसिज्जा, तस्स अलाभे उकुडुओ वा नेसजिओ वा विहरिजा, छट्ठा पडिमा ६ ।अहावरा स० जे भि० अहासंथडमेव उगहं जाइजा, तंजहा पुढविसिलं वा कट्ठसिलं वा अहासंथडमेव तस्स लाभे| संते०, तस्स अलाभे ३० ने० विहिरजा, सत्तमा पडिमा ७ । इच्चेयासिं सत्तण्हं पडिमाणं अन्नयरं जहा पिंडेसणा । ३८४। सुयं मे| आउसंतेणं भगवया एवमक्खायं इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं पंचविहे उग्गहे पत्रत्ते, तं० देविंदउगहे १ रायउगहे २ गाहावइग्गहे ३| सागारियउग्गहे ४ साहम्भियउगहे ५, एवं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं । ३८५।३० २ अवग्रहाध्ययनं ७ चूलिका
से भिक्खू वा० अभिकंखेज्जा ठाणं ठाइत्तए, से अणुपविसिजा गामं वा जाव रायहाणिं वा, से जं पुण ठाणं जाणिज्जा सअंडं जाव मक्कडासंताणयं तं तह० ठाणं अफासुयं अणेस० लाभे संतेनो ५०, एवं सिजागमेण नेयव्वं जाव उदयपसूयाइंति ॥ इच्चेयाई आयतणाई उवाइकम्म २अह भिक्खू इच्छिज्जा चाहिं पडिमाहिं ठाणंठाइत्तए, तत्थिमा पढमा पडिमा अचित्तं खलु उवसज्जिज्जा अवलंबिज्जा कारण विष्परिकमाइ (मिजासवियारं ठाणंठाइस्सामि, पढमा पडिमा अहावरादुच्चा पडिमा अचित्तं खलु उवसज्जेज्जा अवलंबिज्जा कारण विष्परिकमाइ नो सवियारं ठाणं ठाइस्सामि, दुच्चा पडिमा अहावरा तच्चा पडिमा अचित्तं खलु उवसज्जेजा | ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र।
| पू. सागरजी म. संशोधित
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