Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 131
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir वा पियकारिणीइ वा, सभणस्स णं भ० पित्तिए सुपासे कासवगुत्तेणं, सभणं जितु भाया नंदिवद्धणे कासवगुत्तेणं, समणस्स ०|| जेट्ठा भइणी सुदंसणा कासव (प्र.वि) गुत्तेणं, समणस्सणं भग० भज्जा जसोया कोडिना गुत्तेणं, समणस्सणं० धूया कावस (प्र० वि) गोत्तेणं तीसे णं दो नामधिज्जा एवमा० अणुज्जाइ वा पियदसणाइ वा, समणस्सणं भ० नत्तूई कोसिया गुत्तेणं तीसे णं दो नाम० तं० सेसवईइ वा जसवईइ वा । ४००। समणस्स णं० ३ अम्मापियरो पासावच्चिजा समणोवासगा यावि हुत्था, ते णं बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पालइत्ता छण्हं जीवनिकायाणं सारक्खणनिमित्तं आलोइत्ता निंदित्ता गरिहित्ता पडिक्कभित्ता अहारिह उत्तरगुणपायच्छित्ताई पडिवजित्ता कुससंथारगं दुरूहित्ता भत्तं पच्चक्खायंति २ अपच्छिमाए माग्णतियाए संलेहणाए झुसियसरीरा कालमासे कालं किच्चा तं सरीरं विध्यजहित्ता अच्चए कप्पे देवत्ताए उववन्ना, तओणं आउक्खाणं भव०ठिइ० चए चइत्ता महाविदेहे वासे चरमेणं उस्सासेणं सिझिस्संति बुझिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति । ४०१॥ तेणं कालेणं २ समणे भ० नाए नायपुत्ते नायकुलनिव्वत्ते विदेहे विदेहदिने विदेहजच्चे विदेहसूमाले तीसं वासाई विदेहंसित्ति (५० हेत्ति ) कटु अगारमझे वसित्ता अम्मापिऊहिं कालगएहिं देवलोगमणुपत्तेहिं समत्तपइने चिच्चा हिरनं चिच्चा सुवनं चिच्चा बलं चिच्चा वाहणं चिच्चा धणकणारयणसंतसारसावइज विच्छड्डित्ता विग्गोवित्ता विस्माणित्ता दायारेसु दाणं दाइत्ता परिभाइत्ता संवच्छरं दलइत्ता जे से हेमंताणं पढमे मासे पढमे पक्खे मन्गसिरबहले तस्सणं मग्गसिरबहुलस्स दसमीपक्खणं हत्थुत्तरा० जोग० अभिनिक्खमणाभिप्याए | ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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