Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 138
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खेवणासमिए से निगंथे, नो अणायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए, केवली बूया आयाणभंडमत्तनिक्खेवणाअसमिए से निग्गंथे पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई अभिहणिज्जा वा जाव उद्दविज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए से निग्गंथे, नो, आयाणभंडनिक्खेवणाअसमिएत्ति चउत्त्था भावणा ४ । अहावरा पंचमा भावणा - आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे, नो अणालोइयपाणभोयणभोई, केवली बूया अणालोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे पाणाणि वा ४ अभिहणिज वा जाव उद्दविज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे, नो अणालोइयपाणभोयणभोईति पंचमा भावणा५ ।एयावता पढमे महव्वए सम्मकाएण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्ठिए आगाए आराहिए यावि भवइ, पढमे भंते ! महव्वए पााइवायाओ वेरमणं ॥अहावरं दुच्चं महव्व्यं पच्चक्खामि सव्वं मुसावायं वइदोसं,से कोहा वा लोहा वा भया वा हासा वा नेव सयं मुसंभासिज्जा नेवत्रेणं मुसं भासाविजा अनपि मुसं भासंतं न समणुमनिज्जा तिविहं तिविहेणं मणसा व्यसा कायसा, तस्स भंते ! पडिकमामि जाव वोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति तत्थिमा पढमा भावणा अणुवीईभासी से निग्गंथे, नो अणणुवीइभासी, केवली बूया अणणुवीइभासी से निग्गंथे समावजिज मोसं वयणाए, अणुवीइभासी से निगंथे नो अणणुवीइभासित्ति पढमा भावणा १ अहावरा दुच्चा भावणा कोहं परियाणइ से निग्गंथे नो कोहणे सिया, केवली बूया कोहप्पत्ते कोही समावइजा भोसं वयणाए, कोहं परियाणइ से निग्गंथे न य कोहणे सियत्ति दुच्चा भावणा २१अहावरा तच्चा भावणा लोभं परियाणइ से निगंथे नो अलोभणए सिया, केवली बूयालोभपत्ते ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र। | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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