Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 120
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवलंबिजा नो कारण विपरिकम्माई नो सवियारं ठाणं ठाइस्सामित्ति, तच्चा पडिमा । अहावरा चउत्त्था पडिमा अचित्तं खल उवसजेजा नो अवलंबिजा काएण नो परकम्माई नो सवियारं ठाणं ठाइस्सामित्ति वोसट्टकाए वोसट्टकेसमंसुलोमनहे संनिरुद्धं वा ठाणं ठाइस्सामिति, चउत्था पडिमा, इच्चेयासिं चउण्हं पडिमाणं जाव पगहियतरायं विहरिज्जा, नो किंचिवि वइज्जा, एवं खलु तस्स० जाव जइजासित्तिबेमि । ३८६ स्थानसप्तसप्तकं १(८)॥ से भिक्खू वा २ अभिकं० निसीहियं फासुयं गमणाए, से पुण निसीहियं जाणिजा सअंडं० तह० अफा० नो चेइस्सामि ॥ से भिक्खू० अभिकंखेजा निसीहियं गमणाए, से पुण नि० अव्यपाणं अप्पबीयं जावसंताणयं तह निसीहीयं फासुयं चेइस्माभि, एवं सिजागमेणं नेयव्वं जाव उदयप्पसूयाई॥जे तत्थ दुवग्गा तिवग्गा चउग्गा पंचवग्गा वा अभिसंधारिति निसीहियं गमणाए ते नो अनमनस्स कायं आलिंगिज वा विलिंगिज वा चुंबिज्ज वा दंतेहिं वा नहेहिं वा अच्छिंदिज्ज वा वुच्छिं०, एयं खलु० जं सवढेहिं सहिए| समिए सया जएजा, सेयमिणं मनिज्जासित्तिबेमि । ३८७ । नैधिकीसप्तसप्तकं २ (९)॥ से भि० उच्चारपासवणकिरियाए उब्बाहिजमाणे सयस्स पायपुंछणस्स असईए तओ पच्छ। साहम्मियं जाइजा ॥से भि० से जं पु० थंडिल्लं जाणिजा सअंडं० तह० थंडिलंसि नो उच्चारपासवणं वोसिरिजा ॥से भि० जं पुण थं० अप्पपाणं जाव संताणयं तह० थं० उच्चा० वोसिरिज्जा से भि० से जं० अस्सिंपडियाए एगंसाहम्मियं समुहिस्स वा अस्सिं० बहवे साहम्मिया स० अस्सिं ५० ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147