Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 125
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जाणिजा, तंजहा इत्थीणिवा पुरिसाणिवा थेराणिवा डहराणिवा मज्झिमाणिवा आभरणविभूसियाणिवा गायंताणिवा वायंताणि वा नच्चंताणि वा हसंताणि वा रमंताणि वा मोहंताणि वा विपुलं असणं पाणं खाइभ साइमं परिभुजुताणि वा परिभायंताणि वा विच्छड्डियमाणाणि वा विगोयमाणाणि वा अनय तह० विव० महु० कनसोय० ॥से भि० नो इहलोइएहिं सद्देहिं नो परलोइएहिं स० नो सुएहिं स० नो असुएहिं स० नो दिवहिं सद्देहिं नो अदिडेहिं स० नो कंतेहिं सद्देहिं सजिजा नो गिझिजा नो मुज्झिज्जा नो अझोववजिजा, एयं खलु० जाव जएज्जासित्तिबेमि । ३९३ । शब्दसतसप्तकं ४ (११)॥ से भि०त् अहावेगइयाई रूवाइं पासइ, तं गंथिमाणि वा वेढिमाणिवा पूरिमाणिवा संधाइमाणिव कट्टकम्माणि व पोत्थकम्माणिवा चित्तक० मणिकम्माणि दंतक० पत्तच्छिज्जकमाणिवा विविहाणिवा वेढिमाइं अन्नयराई विरू० चक्खूदंसणपडियाए नो अभिसंधारिज गमणाए, एवं नेयव्वं जहा सहपडिमा सव्वा वाइत्तवज्जा रूवपडिभावि । ३९४। रूपसप्तसप्तकं ५ (१२)॥ परिकिरियं अन्झस्थियं संसेसियं नो तं सायए नो तं नियमे, सिया से परो पाए आमजिज वा ५० नो तं सायए नो तं नियम। से सिया परो पायाई संबाहिज्ज वा पलिमद्दिज वा नो तं सायए नो तं नियमे । से सिया परो पायाई कुसिज वा रइज्ज वा नो तं सायए नो तं नियमे से सिया परो पायाई तिल्लेण वा घ० वसाए वा मक्खिज्ज वा अब्भंगिज वा नो तं २ से सिया परो पायाई लुद्धेण वा कक्केण वा चुन्नेण वा वण्णेण वा उल्लोढिज वा उव्वलिज वा नो तं २ से सिया परो पायाई सीओदगवियडेण वा २ उच्छोलिन वा | ॥ श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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