Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 128
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेणं कालेणं तेणं समएणं सभणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे यावि हुत्था, तंजहाहत्थुत्तराहिं चुए चइत्ता गब्भं वक्ते,|| हत्युत्तराहिं गब्भाओ गब्भं साहरिए, हत्थुत्तराहिं जाए, हत्थुत्तराहिं (प्र० सव्वओ सव्वत्ताए) मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए, हत्थुत्तराहिं कसिणे पडिपुन्ने अव्वाधार निरावरणे अणंते अणुत्तरे केवलवरनाणदंसणे समुप्पने, साइणा भगवं परिनिव्वुए | १३९८ समणे भगवं महावीरे इमाइ ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए वीइताए सुसमाए समाए वीइक्वंताए सुसमदुस्समाए समाए वीइक्वंताए दुसमसुसमाए समाए बहुविइक्वंताए पनहत्तरीए वासेहिं मासेहि य अद्धनवमेहिं सेसेहिं जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्स णं आसाढसुद्धस्स छठ्ठीपक्खेणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोममुवागएणं महाविजय सिद्धत्थपुप्फुत्तरवरपुंडरीय दिसासोवत्थ्यिवद्धमाणाओ महाविमाणाओवीसं सागरोवमाई आउयं पालइत्ता आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं चुए चइत्ता इह खलु जंबुद्दीवेणं दीवे भारहे वासे दाहिणभरहे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसंमि उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगोत्तस्स देवाणंदाए भाहणीए जालंघरसगुत्ताए सीहुब्भवभूएणं अयाणेण कुच्छिंसि गब्भवते, समणे भगवं महावीरे तित्राणोवगए याविहुत्था, चइस्सामित्ति जाणइ, चुएमित्ति जाणइ, चयमाणेन याणेइ, सुहुमेणं से काले पत्रते, तओणं समणे भगवं महावीरे हियाणुकंपएणं (प्र० अणुकंपएणं) देवेणं जीयमेयंतिकट्ठ जे से वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोयबहुले तस्सणं आसोयबहुलस्स तेरसीपक्खेणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं बासीहिं राइदिएहिं वइक्कं तेहिं तेसीइमस्स राइंदियस्स परियार वट्टमाणे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसाओ ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र। | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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