Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 118
________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भुत्तए वा पायए वा, से जं० अंबभित्तगं वा ५ सअंडं० अफा० नो पडि० ॥ से भिक्खू वा २ से जं० अंबं वा अंबभित्तगं वा अप्पंडं ० अतिरिच्छच्छिन्नं २ अफा० नो प० ॥ से जं० अंबडालगं वा अप्पंडं ५ तिरिच्छच्छिन्नं वुच्छिन्नं फासूयं पडि० ॥ से भि० अभिकंखिजा उच्छुवणं उवागच्छित्तए, जे तत्थ ईसरे जाव उग्गहंसि० ॥ अह भिक्खू इच्छिजा उच्छृं भुत्तए वा पा०, से जं० उच्छु जाणिज्जा सअंडं जाव नो ५० अतिरिच्छच्छिन्नं तहेव, तिरिच्छच्छिन्नेऽवि तहेव ॥ से भि० अभिकंखि० अंतरुच्छ्रयं वा उच्छुगंडियं वा उच्छुचोयगं वा उच्छुसा० उच्छृंडा० भुत्तए वा पाय०, से जं पु० अंतरुच्छुयं वा जाव डालगं वा सअंडं० नो ५० ॥ से भि० से जं० अंतरुच्छ्रयं वा० अप्पंडं वा० जाव पडि० अतिरिच्छच्छिन्नं तहेव ॥ से भि० ल्हसणवणं उवागच्छित्तए, तहेव तिन्निवि आलावगा, नवरं लहसुणं ॥ से भि० ल्हसुणं वा ल्हसुणकंदं वा ल्ह० चोयगं वा ल्हसुणनालगं वा भुत्तए वा २ से जं० लसुणं वा जाव लसुणबीयं वा सअंडं जाव नो ५०, एवं अतिरिच्छच्छिन्नेऽवि तिरिच्छच्छिन्ने जाव ५० । ३८३ । से भि० आगंतारेसु वा ४ जावोग्गहियंसि, जे तत्थ गाहावईणं वा गाहा • पुत्ताण वा इच्चेयाई आयतणाई उवाइकम्म अह भिक्खू जाणिज्जा, इमाहिं सत्तहिं पडिमाहिं उग्गहं उग्गिहित्तए, तत्थ खलु इमा पढमा पडिमा से आगंतारेसु वा ४ अणुवीइ उगगहं जाइज्जा जाव विहरिस्सामो, पढमा पडिमा १ । अहावरा० जस्स णं भिक्खूस्स एवं भवइ अहं च खलु अन्नेसिं भिक्खूणं अट्ठाए उग्गहं उग्गिहिस्सामि, अण्णेसिं भिक्खूणं उग्गहे उग्गहिए उवल्लिस्सामि, दुच्चा पडिमा २ । अहावरा० जस्स णं भि० अहं च० उग्गिहिस्सामि अन्नेसिं च उग्गहे उग्गहिए नो उवल्लिस्सामि, तच्चा पडिमा ३ । अहावरा० जस्स णं ॥ श्रीआचाराङ्ग सूत्रं ॥ १०७ पू. सागरजी म. संशोधित Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra For Private And Personal Use Only

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