Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 116
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie |सं० अग्गिण्हिज वा ५० । ३७८ । से भि० आगंतारेसु वा ४ अणुवीइ उग्गहं जाइजा० जे तत्थ ईसरे जे तत्थ समाहिदुए ते उग्गहं|| अणुनविज्जा कामं खलु आउसो० ! अहालंदं अहापरित्रायं वसामो जाव आउसो ! जाव आउसं तस्स उगहं जाव साहम्मिया एह तावं उम्गहं उग्गिहिस्सामो, तेण परं विहरिस्सामो ॥ से किं पुण ?. तत्थोग्गहंसि एवोगहियंसि जे तत्थ साहम्मिया संभोइया समणुत्रा उवागच्छिज्जा जे तेण सयमेसित्तए असणे वा ४ तेण ते साहम्मिया ३ उवनिमंतिजा, नो चेव णं परवडियाए ओगिझिय २ उवनि० | १३७९।से आगंतारेसु वा ४ जाव से किं पुण?. तत्थोग्गहंसि एवोग्गहियंसि जे तत्थ साहमिआ अनसंभोइआ समणुना उवागच्छिज्जा जे तेण सयमेसित्तए पीढे वा फलए वा सिज्जा वा संथारए वा तेण ते साहम्मिए अन्नसंभोइए समणुन्ने उवनिमंतिजा, नो चेवणं परवडियाए ओगिझिय उवनिमंतिजा ॥ से आगंतारेसु वा ४ जाव से किं पुण ?. तत्थुग्गहंसि एवोग्गहियंसि जे तत्थ गाहावईण वा गाहा० पुत्ताण वा सूई वा पिप्पलए वा कण्सोहणए वा नहच्छेयणए वा तं अपणो एगस्स अट्ठाए पाडिहारियं जाइत्ता नो अनमत्रस्स दिज वा अणुपइज्ज वा , सयंकरणिज्जतिकटु से तमायाए तत्थ गच्छिज्जा ३ पुव्वामेव उत्ताणए हत्थे कटु भूमीए वा ठवित्ता इमं खलु २ त्ति आलोइजा, नो चेवणं सयं पाणिणा परपाणिंसि पच्चप्पिणिजा ।३८०से भि० से जं उग्गहं जाणिज्जा अणंतरहियाए पुढवीए जाव संताणए तह० उम्गहं नो गिहिज्जा वा २॥ से भि० से जं पुण उग्गहं थूणसि वा ४ तह० अंतलिक्खजाए दुब्बद्धे जाव नो उग्गिण्हिज्जा वा २॥से भि० से जं० कुलियंसिवा ४ जाव नो उग्गिहिज्ज वा २॥से भि० खंधंसि वा ४ अन्नयरे वा तह० जाव नो ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र। | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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