Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 47
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir संभं पडिलेहए आयतगुते बुद्धेहिं एयं पवेइयं । २०११ से समणुने असमणुवस्स असणं वा जाव नो पाइजा नो निमंतिजा नो कुजा|| वेयावडियं परं आढायमाणेत्तिबेमि । २०२१ धम्ममायाणह पवेइयं माहणेण मइमया सभणुने समणुवस्स असणं वा जाव कुज्जा वेयावडियं परं आढायमाणेत्तिबेमि । २०३॥अ० ८ ३० २॥ मझिमेण वयसाविएगे संबुझ्माणा समुट्ठिया, सुच्चा मेहावी वयणं पंडियाणं निसामिया समियाए धमे आरिएहिं पवेइए. ते अणवकंखमाणा अणइवाएमाणा अपरिग्गहेमाणा नो परिग्गहावंती, सव्वावंति च णं लोगंसि निहाय दंडं पाणेहिं पावं कम्म अकुव्वमाणे एस महं अगंथे वियाहिगए ओए जुइमस्स खेयने उववायं चवणं च नच्चा । २०४। आहारोवच्या देहा परीसहपभंगुरा पासह एए सव्विंदिएहिं परिगिलायमाणेहिं ।२०५।ओए दयं दयइ, जे संनिहाणसत्थस्स खेयने से भिक्खू कालन्ने बलन्ने मायने खणत्रे विणयन्ने समयण्णे परिग्गहं अममायमाणे कालेणुढाई अपडिन्ने दुहओ छित्ता नियाइ । २०६। तं भिक्खं सीयफासपरिवेवमाणगायं उवसंकभित्ता गाहावई बूया आउसंतो समा! नो खलु ते गामधमा उब्बाहंति?, आउसंतो गाहावई ! नो खलु मंगामधमा उब्बाहंति, सीयफासं च नो खलु अहं संचाएमि अहियासित्तए नो खलु मे कप्पइ अगणिकायं उज्जालित्तए वा(पज्जालित्तए वा) कायं आयावित्तए वा पयावित्तए वा अत्रेसिंवा वयणाओ, सिया स एवं वयंतस्स परो अगणिकायं उज्जालित्ता पज्जालित्ता कायं आयाविज वा पयाविज वा तं च भिक्खु पडिलेहाए आगमित्ता आणविज्जा अणासेवणाएत्तिबेमि । २०७१ अ०८३०३॥ | ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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