Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 106
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. sobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |वा महिसंवा मिगंवा पसुं वा पक्खि वा सरीसिवं वा जलचरं वा सेत्तं परिवूढकायं पेहए नो एवं वइज्जा थूलेइ वा पमेइलेइ वा वटे। वा वझेइ वा पाइमेइ वा, एयव्यगारं भासं सावज जाव नो भासिज्जा ॥से भिक्खू वा मणुस्संवा जाव जलयरं वा सेत्तं परिवूढकायं पहाए एवं वइज्जा परिवूढकाएत्ति वा उवचियकाएत्ति वा थिरसंध्यणेत्ति वा चियमंससोणिएत्ति वा बहुपडिपुत्र इंदिएत्ति वा एयप्पगारं भासं असावजं जाव भासिज्जा ॥से भिक्खू वा २ विरूवरूवाओ गाओ पेहाए नो एवं वइज्जा, तंजहा गाओ दुज्झाओत्ति वा दम्मेति वा गोरहत्ति वा वाहिमत्ति वा रहजोग्गत्ति वा, एयप्पगारं भासं सावजं जाव नो भासिजा॥ से भि० विरूवरूवाओ गाओ पेहए एवं वइजा, तंजहा जुवंगवित्ति वा धेणुत्ति वा रसवइत्ति वा हस्सेइ वा महल्लेइ वा महव्वएइ वा संवहणित्ति वा, एअप्पगारं भासं असावजं जाव अभिकंख भासिज्जा ॥ से भिक्खू वा० तहेव गंतुमुजाणाई पव्वयाई वणाणि वा रुक्खा महल्ले पेहाए नो एवं वइज्जा, तं पासायजोग्गाति वा तोरणजोग्गाइ वा गिहजोग्गाइ वा फलिहजो० अगलजो० नावाजो० उदग० दोणजो० पीढचंगबेरनंगलकुलियजंतलट्ठीनाभिगंडी आसणजो० सयणजाणउवस्सय जोगाई वा, एयप्पगारं० नो भासिज्जा ॥से भिक्खू वा० तहेव गंतु० एवं वइज्जा, तंजहा जाइमंताई वा दीहवाइ वा महालयाइ वा पयायसालाइ वा विडिमसालाई वा पासाइयाइ वा जाव पडिरूवाति वा एयप्पगारं भासं असावजं जाव भासिज्जा ॥ से भि० बहुसंभूया वणफला पेहाए तहावि ते नो एवं वइज्जा, तंजहा पक्काइ वा पायखज्जाइ वा वेलाइयाइवा टालाइ वा वेहियाइ वा एयप्पगारं भासं सावज जाव नो भासिज्जा ॥से भिक्खू० बहुसंभूया वणफला अंबा पेहाए एवं ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ पू.सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147