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| दूइ । ३४६ । से भिक्खू वा गामा० दू० अंतरा से जंघासंतारिमे उदगे सिया, से पुव्वामेव सुसीसोवरियं कार्य पाए य पमज्जिज्जा २ एगं | पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा तओ सं० उदगंसि आहारियं रीएज्जा ॥ से भि० आहारियं रीयमाणे नो हत्थेण हत्थं जाव अणासायमाणे तओ संजयामेव जंघासंतारिमे उदए अहारियं रीएजा ॥ से भिक्खू वा० जंघासंतारिमे उदए अहारियं रीयमाणे नो सायावडियाए नो परिदाहवडियाए महइमहालयंसि उदयंसि कार्यं विउसिज्जा, तओ संजयामेव जंघासतारिमे उदए अहारियं रीएज्जा, अह पुण एवं जाणिज्जा पारए सिया उदगाओ तीरं पाउणित्तए, तओ संजयामेव उदउल्लेण वा २ काएण दगतीरए चिट्ठिज्जा | से भि० उदउल्लं वा कार्य ससी० कार्य नो आमज्जिज्ज वा० नो अह पु० विगओदए मे काए छिन्नसिणेहे तहप्पगारं कार्यं आमज्जिज्ज वा० पयाविज्ज वा तओ सं० गामा० दूइ० । ३४७ । से भिक्खू वा० गामा दूईज्जमाणे नो मट्टियागएहिं पाएहिं हरियाणि छिंदिय २ विकुज्जिय २ विफालिय २ उम्मग्गेण हरियवहाए गच्छिज्जा, जमेयं पाएहि मट्टियं खिप्पामेव हरियाणि अवहरंतु, माइट्ठाणं संफासे, नो एवं करिज्जा, से पुव्वामेव अप्पहरियं मग्गं पडिलेहिज्जा तओ० सं गामा० ॥ से भिक्खू वा २ गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से वप्पाणि वा फ० पा० तो अ० अग्गलपासगाणि वा गड्डाओ वा दरीओ वा सइ परक्कमे संजयामेव परिक्कमिज्जा, नो उज्जु०, केवली., से तत्थ परक्रममाणे पयलिज्ज वा २, से तत्थ पयलमाणे वा २ रुक्खाणि वा गुच्छाणि वा गुम्माणि वा लयाओ वा वल्लीओ वा तणाणि वा गहणाणि वा हरियाणि वा अवलंबिय २ उत्तरिज्जा, जे तत्थ पाडिपहिया उवागच्छंति ते पाणी जाइज्जा २ तओ सं अवलंबिय २
॥ श्रीआचाराङ्ग सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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