Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||॥१९॥ अवि साहिए दुवे मासे छप्पि मासे अदुवा विहरित्था (प्र० अपिविता) राओवायं अपडिने अनगिलायमेगया भुझे ॥१०॥
छटेण एगया भुञ्जे अदुवा अट्ठमण दसमेणं. दुवालसमेण एगया भुञ्जे पेहमाणे समाहिं अपडिन्ने ॥१०१॥ णच्चा णं से महावीरे नोऽविय पावगं सयमकासी । अन्नेहिं वाण कारित्या कीरतपि नाणुजाणित्था ॥१०२॥ गामं पविसे नगरं वा घासमेसे कडं पढाए । सुविसुद्धमेसिया भगवं आयतजोगयाए सेवित्था ॥१०३॥ अदुवायसा दिगिंछत्ता जे अन्ने रसेसिणो सत्ताधासेसणाए चिट्ठनि निवइए य पेहए ॥१०४॥अदुवा माहणं च समणं वा गामपिण्डोलगंच अतिहिं वा ।सोवागमूसियारि वा कुकुरं वावि विट्ठियं पुरओ | ॥१०५॥ वित्तिच्छेयं वजन्तो तेसिमपत्तियं परिहरन्तो मन्दं परक्कमे भगवं अहिंसमाणो घासमेसित्था ॥१०६॥ अवि सुइयं वा सुकं वा सीयं पिंडं पुराणकुम्भासं अदु बुक्कसं, पुलागं वालद्धे पिंडे अलद्ध दविए ॥१०७॥अवि झाइ से महावीरे आसणत्थे अकुकुए झाणी उ8 अहे तिरियं च पेहमाणे समाहिमपडिन्ने ॥१०८॥ अक्साई विगयगेही यसहरूवेसु अमुच्छिए झाई छउमत्थोऽवि (प्र० विवि)/
परक्कममाणोन पायंसइंपि कुवित्था ॥१०९॥सयमेव अभिसमागम आयतजोगमायसोहीए ।अभिनिव्वुडे अमाइले आवकहं भगवं ||समियासी ॥११०॥ एसविही अणु. रीयइ ॥१११॥ तिबेमि ॥३० ४ उपधानाध्ययनं ९ ॥ इति प्रथमः श्रुतस्कन्धः ॥
से भिक्खु वा भिक्खुणी वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविढे समाणे से जं पुण जाणिज्जा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पाणेहिं वा पणगेहिं वा बीएहिं वा हरिएहिं वा संसत्तं उमिस्सं (प्र० सीओदएण वा संसत्तं उम्भिस्सं) सीओदएण श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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