Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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भिक्ख उच्चाव० एरिसिया वा सानो वा एरिसिया इयवाणं बूया इयवाणं मणं सइज्जा, अह भिक्खुणं पु० ४ जंतहथ्यगारे उवस्सए नो ठा० । २९३। आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावईहिं सद्धिं संवसमाणस्स, इह खलु गाहावइणीओ वा गाहावइधुयाओ वा गा० सुण्हाओ वा गा० थाईओ वा गा० दासीओ वा गा० कम्मकरीओ वा तासिं च णं एवं वृत्तपुव्वं भवइ जे इमे भवंति समणा भगवंतो जाव उवया मेहुणाओ धम्माओ, नो खलु एएसिं कप्पड़ मेहुणधर्म परियारणाए आउट्टित्तए, जा य खलु एएहिं सद्धिं मेहुणधम्म परियारणाए आइटाविज्जा पुत्तं खलु सालभिज्जा उयस्सिं तेयस्सिं वच्चस्सिं जसस्सिं संपराइयं आलोयणदरसणिज्जं एयप्पगारं निग्धोसं सुच्चा निसम्म तासिंचणं अनयरी सड्डी तंतवस्सिं भिक्खू मेहुणधम्मपडियारणाए आउट्टाविजा, अह भिक्खूणं पु.जं तहप्यगारे सा० 30 नो ठा०३ चेइज्जा, एयं खलु तस्स. १२९४। अ० २ ३०१॥
गाहावई नामेगे सुइसमायारा भवंति, से भिक्खु य असिणाणए मोयसमायारे से तगंधे दुग्गंधे पडिकूले पडिलोभे यावि भवइ,जं पुव्वं कम्मतं पच्छ। कम्मजं पच्छा कम्मतं पुरे कम्मतं भिक्खुपडियाए वट्टमाणा करिज्जा वा नो करिज्जावा, अह भिक्खूणं पु० जं तहप्पगारे ३० नो ठाणं० । २९५। आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावईहिं सद्धिं सं० इह खलु गाहावइस्स अप्पणो सयट्ठाए विरूवरूवे भोयणजाए उवक्खडिए सिया अह पच्छ। भिक्खुपडियाए असणं वा ४ उवक्खडिज्ज वा उवकरिज वा तं च भिक्खू अभिकंखिज्जा भुत्तए वा पायए वा वियट्टित्तए वा, अह भि० जंनो तह०।२९६ आयाणमेयं भिक्खुस्स गाहावड़ा सद्धिं संव० इह ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥
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| पू. सागरजी म. संशोधित
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