Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बहवे समणमाहणअतिहिकिवणवणीमए समुस्स तत्थ २ अगारीहिं अगाराइंचेइयाई भवंति, तंजहा आएसणाणिवा आयतणाणि वा| देवकुलानि वा सहाओ वा पवाणि वा पणियगिहाणि वा पणियसालाओ वा जाणगिहाणि वा जाणसालाओ वा सुहम्मंताणि वा दब्भकमंताणि वा वद्धकं० वक्यकं (प्र० गुलकं ) इंगालकम्म कट्टक (५० वणक) सुसाणक० सुण्णागारगिरिकंदरसंतिसेलोवद्वाणकम्मंताणि वा भवणगिहाणि वा, जे भयंतारो तहप्पगाराई आएसणाणि वा जाव गिहाणि वा तेहिं उवयमाणेहिं उवयंति अयमाउसो! अभिक्वंतकिरिया यावि भवइ । ३०३। इह खलु पाईणं वा जाव रोयमामेहिं बहवे सभणमाहणअतिहिकिवणवणिमए| समुद्दिस्स तत्थ तत्थ अगारिहिं आगाराई चेइयाई भवंति,तं आएसणाणि जाव भवणगिहाणिवा, जे भयंतारो तह० आएसणाणि जाव गिहाणि वा तेहिं अणोवयमाणेहिं उवयंति अयमाउसो ! अणभिक्तकिरिया यावि भवइ । ३०४। इह खलु पाईणं वा ४ जाव कम्मकरीओ वा, तेसिं च णं एवं वृत्तपुव्वं भवइ जे इमे भवंति समा भगवंतो जाव उवरया मेहुणाओ धम्माओ, नो खलु एएसिं भयंताराणं कप्पइ आहाकम्भिए उवस्सए वत्थए, से जाणिमाणि अहं अपणो सयढाए चेइयाई भवंति, आएसणाणिवा जाव भवइ गिहाणि वा, सव्वाणि ताणि सभणाणं निसिरामो, अवियाई वयं पच्छ। अपणो सयढाए चेइस्सामो तं० आएसणाणि वा जाव०, एयथ्यगारं निग्धोसं सुच्चा निसम्म जे भयंतारो तहप्प० आएसणाणिवा जाव गिहाणि वा, उवागच्छंति इयराइयरेहिं पाहडेहिं वति. अयमाउसो! वजकिरिया यावि भवइ । ३०५। इह खलु पाईणं वा ४ संतेगइआ सड्ढा भवंति, तेसिं च णं आयारगोयरे जाव तं || ॥ श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोथित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147