Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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वियाणओ ॥२७॥अयं से अवरे धम्मे, नायपुत्तेण साहिए आयवज पडीयारं, विजहिजा तिहा तिहा ॥२८॥ हरिएसुन निवजिज्जा, थण्डिलं मुणिया सए । विओसिज्ज अणाहारो, पुट्ठो तत्थऽहियासए ॥२९॥ इन्दिएहिं गिलायन्तो, समियं आहरे मुणी ।तहावि से अगरिहे, अचले जे समाहिए ॥३०॥अभिक्कमे पडिकमे, सङ्कुचा पसारए । कायसाहरणट्ठाइ, इत्थं वावि अचेयणो ॥३१॥ परिक्कमे परिकिलन्ते, अदुवा चिट्टे अहायए । ठाणेण परिकिलन्ते, निसीइजा य अंतसो ॥३२॥आसीणेऽणेलिसं मरणं, इन्दियाणि समीरए । कोलावासं समासज, वितहं पाउस्साए ॥३३॥जओ वजं समुप्यजे, न तत्थ अवलम्बएतउ उनसे अध्याणं, फासे तत्त्थ (प्र० सव्वे फासा) ऽहियासए ॥३४॥ अयं चाययतरे सिया, जो एवमणुपालए सव्वगायनिरोहेवि, ठाणाओन विउम्भमे ॥३५॥ अयं से उत्तमे धम्मे, पुवठ्ठाणस्स पागहे । अचिरं पडिलेहिता, विहरे चिट्ठ माहणे ॥३६॥अचितं तु समासज, ठावए तत्थ अप्पगं । वोसिरे सव्वसो कायं, न मे देहे परीसहा ॥३७॥ जावजीवं परीसहा, उवसग्गा इति सङ्ख्या । संवडे देहभेयाए, इय पन्नेऽहियासए ॥३८॥ भेरेसुन रजिजा, कामेसु बहुतरेसुवि (बहुलेसुवि पा०) । इच्छा लोन सेविजा, धुववनं सपेहिया (वणे सुहमे पा०) ॥३९॥ सासएहिं निमन्तिजा, दिव्वमायं न सहहे । तं पडिबुझ माहणे, सव्वं नूमं विहूणिया ॥४०॥सवढेहिं अमुच्छिए, आउकालस्स पारए तितिक्वं परमं नच्चा, विमोहन्नयरं हियं ॥४१॥ तिबेमि ॥ ८ विमोक्षाध्ययनं ८॥
जहासुयं वइस्सामि, जहा से समणे भगवं उठाए ।संखाए तंसि हेमंते, अहुणा पव्वइए रीइत्था ॥४२॥णो चेविमेण वत्थेण, ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥
५. सागरजी म. संशोधित
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