Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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श्रावकधर्मपञ्चाशकचूर्णिः ।
पौषधः विधिः
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रसं जाव बंभचेरपालणं । अव्वावारपोसहोवि देसओ सबओ य, तत्थ देसओ अमुगं वावारं न करेमि, सवओ पुण सवेचि वावारे हलसगडघरकम्माइ न करेमि । तत्थ अबावारविसए-जो देसओ पोसहं करेइ स सामाइयं करेइ वा न वा, जो पुण सबओ अबावारपोसहं करेइ स नियमा सामाइयं करेइ, जइ न करेइ तया सामाइयफलेणं वंचिजह । तं च कहिं केण वा विहिणा करेइत्ति ? एयं भणइ-चेझ्यहरे वा साहुमूले वा घरे वा पोसहसालाए वा, उम्मुक्कमणिसुवन्नो ववगयमालावन्नगविलेवणपहरणो, तंमि य कए पढइ पोत्थयं वा वाएइ, धम्मज्झाणं वा झियाइ, जहा-एए साहुगुणा अहं मंदभग्गो न समत्थो धारे एवमाई विभासा-"तं सत्तिओ करेजा तवो उ जो वनिओ समणधम्मे । देसावगासिएणं जुत्तो सामाइएणं वा ॥१॥ सक्वेसु कालपव्वेसु पसत्थो जिणमए तवो जोगो। अट्ठमिपन्नरसीसु य नियमेण हवेज पोसहिओ ॥२॥" एत्थ य जइ आहारसरीरसकारवंभचेरपोसहपि व अब्बावारपोसहंपि अन्नत्थऽणामोगेणंति एवमाई आगारुच्चारणपुवगं पडिवाइ तया सामाइयपि सफलं होइ, जओ थूलं पोसहपच्चक्खाणं सुहुमं सामाइयपच्चक्खाणं, तहा पोसहिएणवि सावजवावारा न कायचा चेव, तओ मामाइयं अकरेंतो सामाइयलाभाउ मस्सइ, जइ पुण सामायारीविसेसाउ सामाइयम्मिव 'दुविहं तिविहेण 'न्ति एवं पोसह पडिवाइ तया सामाइयत्थो पोसहे चेव गउत्ति काउंन सामाइयं अञ्चतं सफलं, जइ परं पोसहसामाइयलक्खणं वयदुगं पडिवनं मएत्ति एवंविहभावणाए सफलंति । एत्थ य जं भणियं 'जइ पुण सामायारीविसेसाओ सामाइयमिव दुविहं तिबिहेण पोसहं पडिवजह'त्ति एवमाइ, तमियाणी सामायारीविसेसं पुवायरियमणियं दंसेमि
"अह भवसुहविरयमणो अणनसामन्नचरणरागेण । जइ सुहकंखी किर कुणइ सबओ पोसहं सड्ढो ॥१॥" पढम नमो
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ACROR
१.३
॥
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