Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 169
________________ श्रावकधर्म पश्चाशक अनशनदशायां भावना: चर्णिः । ।१४५॥ ROSCOCA परलोगो-देवलोगो, देवो होमित्ति पत्थेइ । एवं जीवियासंसप्पओगो, जइ बहुकालं जीवामित्ति, एसो पुण एवं भवइ, तत्थ मल्लपुत्थयवायणाइपूयाबहुपरिवारदसणाओ जणसाहुसकारसवणाओ य एवं मन्नेइ, जीवियमेव मे सेयं कय अणसणस्सवि, जओ एवंविहा इमा विभूई ममुद्देसेणं बट्टइत्ति । एवं मरणासंसप्पओगो, जया तं पडिवन्नाणसणं न कोई गवेसेइ, पूर्य गुणगहण वा न कोई करेइ, तओ तस्स एवं विहो चित्तपरिणामो भवइ-जइ अहं अपुनकम्मा सिग्धं मरामि तो सुंदरंति, अवा अणिद्वेहिं फासाईहिं पुट्ठो मरिउमिच्छइ । तहा-कामभोगासंसप्पओगो, जघा जम्मतरे चक्कवट्टिवासुदेवमहामंडलियभोगो स्वस्सी वा भवेजामित्ति पत्थेइ । एस चेव पढमचरिमाइयाराणं बिसेसो-जमेत्थ कामभोगे पत्थेइ तत्थ पुण रिद्धिविसेसंति, एत्थ भदत्तो उदाहरणं । "इयपडिवन्नाणसणो सम्म भाविज भावणाउ सुभा । एगत्ताणिचत्तासुइत्तअन्नत्तपभिइओ ॥१॥ एगोहं नत्थि मे कोइ नयाहमवि कस्सवि । परं धम्मो जिणक्खाओ एत्थ मज्झ बिहजओ ॥ २॥ अणिचं जीवियं देहो, जोवणं पियसंगमो । नस्थि एत्थं धुवं किंपि, जत्थ राओ विहीयइ ॥३॥ देहो जीवस्स आवासो सो य सुक्काइसंभवो । धाउरूवो मलाहारो सुइनाम कहं भवे ॥ ४ ॥ एगो मे सासओ अप्पा णाणदंसणसंजुओ। सेसा मे बाहिरा भावा, सव्वे संजोगलक्खणा ॥५॥ संजोगमूला जीवेणं, पत्ता दुक्खपरंपरा । तम्हा संजोगसंबंध, जावजीवाए वजए ॥ ६ ॥ जम्मजरामरणजलो अणाइमं वसणसावयाइण्णो । जीवाण दुक्खहेऊ कटुं रुद्दो भवसमुद्दो ॥ ७॥धन्नो हं जेण मए अणोरपारंमि नवरमेयंमि । भवसयसहस्सदुलह लद्धं मे धम्मजाणं तु ॥ ८॥ एयस्स य भावेणं पालिजंतस्स सइ पयत्तेणं । जम्मंतरे वि जीवो पावेति न दुक्खदोगचं ॥ ९॥ चिंतामणी अउबो एस अउद्यो य कप्परुक्खो ति । एयं परमो मंतो एयं परमामयं पं० चू० १३ - %-- P॥ १४५॥ Jain Education in For Private & Personal Use Only vw.jainelibrary.org

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