Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 173
________________ श्रावकधर्मपश्चाशक चूर्णिः । ॥१४९ श्रावकदिनकृत्यानि SECROSSAR तणुरप्पेसण्हाणिया । उभओ वाउवहो चेव, तेण टुंति न चेइए ॥३॥ तिन्नि वा कडई जाव, थुइओ तिसिलोइया । ताव तत्थ अणुनाय, कारणेण परेणवि ॥ ४॥" एवमाई । तओ वियाले सकारो-जिणबिंधाणं पुथा कायव्वा, वंदणाइयत्ति अरहंतबिंबाण बंदणा, आइसद्दाओ चेइयसंबंधितकालोचियं काय घेप्पइ, साहुवसहियमणं साहुवंदणाइ वा भूमिगाणुसारेण छविहावस्सयं वा आइसघाउ लब्भइ, चसद्दो समुच्चये, न च छबिहावस्सयं सावगाणं उवासगदसाइसु न भणियंति नस्थित्ति संका कायवा, जओ अणुओगद्दारसूत्ते भणियं-"जण्णं इमे समणे वा समणी वा सावओ वा साविया वा तच्चित्ते तम्मणे जाव उभओ कालं आवस्सयं करेंति, से तं भावावस्सयं "ति, तहा “ समणेणं सावएण य अवस्सकायच्वयं हवइ जम्हा । अंतो अहोनिसिस्स य तम्हा आवस्सयं नाम ॥१॥" तहा आवस्सयचुण्णीएवि सावगसामाइयविहिं भणतेण भणियं, जहा" चउसु ठाणेसु नियमा कायवं, तंजहा-चेइयहरे १ साहसमीवे २ पोसहसालाए वा ३ घरे वा ४ आवस्सय करतो "त्ति, तम्हा न चेइयवंदणाइ नावि मिच्छादुक्कडमे नावि आलोयणादंडगमेतं आवस्सयं, किंतु सामाइयाइछज्झयणरूवं आवस्सयं नायवंति, जओ भणियं " अज्झयणछकवग्गो" ॥ ४४ ॥ एवमाइतहा-जइविस्सामणमुचिओ जोगो नवकारचिंतणाईओ। गिहिगमणं विहिसुवर्ण सरण गुरुदेवयाईणं ॥४५॥ जईणं-साहूणं बेयावच्चाई हिं परिस्संताणं पुढालंबणेणं तहाविहसावगाओवि खेयविणोयं इच्छताणं विस्सामणं-खेयावणयणं जइविसामण कायवं, तहा उचिओ-सभूमिगाणुरूवो जोगो-बाबारो, किंवो?, गन्नाइ-नवकारचिंतणाइओ-नवकारो पसिद्धो, आइसद्दाओ पढियपगरणगुणणाइ ददुवं, तओ गिहगमणं, तत्थ य विहिसुवर्ण-विहिणा जिणवंदणविसेसपच्चक्खाण १४९॥ Jain Education a l For Private & Personal Use Only T w w.ininelibrary.org

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