Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 172
________________ 14-SC श्रावकधर्मपश्चाशकचूर्णिः । ॥१४८॥ पूयणं अरिहंतपडिमाए कायक्वं, वंदणं-चेहयवंदणं, तओ गुरुसगासे-गुरुसमीवे पचक्खाणं सयं गहियपच्चक्खाणस्स गुरुसक्खि- ता श्रावकगत्तकरणं, तओ गुरुसगासे चेव सवणं आगमस्स, तओ जइपुच्छा-साहुसरीरसंजमवत्ता पुच्छियवा, एवं हि विणओ पउत्तो दिनभवति, तत्थ उचियकरणिजं-साहुस्स गिलाणाइभावे ओसहपयाण उवएसाइ कायवं, अन्नहा पुच्छा नाइसफला होइत्ति ४३॥ कृत्यानि अविरुद्धो ववहारो काले तह भोयणं च संवरणं । चेइहरागमसवणं सकारो वंदणाई य ॥४४॥ अविरुद्धो-पन्नरसकम्मादाणपरिहारेण अणवज्जो ववहारो कायम्बो, विरुद्धववहारे पुण धम्मवाहा पवयणहेला य मवेजा, काले-सरीरारोग्गाणुकूले पञ्चक्खाणतीरणसमयसरूवे य, अकालभोयणे हि धम्मस्स धम्मसाहगसरीरस्स य बाहा भवेजा, तहत्ति भणियविहिणा, तंजहा-"जिणपूजोचियदाणं परियरसंभालणा उचियकिच्चं । ठाणुववेसो य तहा पच्चक्खाणस्स संभरणं ॥१॥"ति, एवमाइ, भोयणं कायक्वं, अनहाभोयणे पावबंध एव, चसद्दो समुच्चये, संवरणंति भोयणाणंतरं जहासंभवं गंठिसहिगाइपच्चक्खाणस्स गहणं, पमायपरिहारिणो हि पच्चक्खाणं विणा न जुत्तं खणमवि अच्छेउं, तओ अवसरे चेइहरआगमणं, तओ तत्थ सवर्ण-साहुसमीवे जिणागमसुणणं, अहवा चेइहरे आगमस्स सवर्णति चेइहरे किर पाएण आगमवक्खाणं होइ, अओ आगमगहणं, चेइहरगहणं च ठाणतरोवलक्खणत्थं, जओ भणियं-" जत्थ पुण अनिस्सकडं पूरेंति तहिं समोसरणं । पूरिति समोसरणं अन्नासइ निस्सचेइएसुवि ॥१॥" इहरा लोगविरुद्धं सद्धाभंगो य होइ सड्ढाण। न च "चेइयहरे आगमसवणं कायक्वं" ति एयवयणाओ चेइयहरे चेव साहुणो निवसंति एवंविहसंका कायवा, जओ आगमे चेइयहरे निवासो वारिओ, तंजहा "जइवि न आहाकम्मं भत्तिकयं तहवि वजयंतेहिं । मत्ती खलु होइ कया इहरा आसायणा परमा ॥१॥ दुब्भिगंधमलस्सावि, २॥ १४८॥ SCA58CARRC 5.46 in Educh an inte For Private & Personal Use Only Xjjainelibrary.org

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