Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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प्रमाणा
श्रावकधर्मपश्चाशक
चूर्णिः परि.१
नामकारादिक्रमः
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॥१७६॥
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गाथाद्याद्यशः पृष्टांकः निर्दिष्टानिर्दिष्टस्थलानि । गाथाद्याद्यंशः पृष्ठांकः निर्दिष्टानिर्दिष्टस्थलानि पुश्वभवियवेरेणं १४० (व्य० उ० १० गा० ५६७) | बावीससंतमोहस्स पुवाउत्तं कप्पड़ १२३ (पंचा० गा०४८१)| बीओ असमिओमित्ति ९९ (पंचा० टी० प० २४) पुवावरदाहिण १४० (व्य० उ०१० गा० ५७०) बुद्धिएँ निएऊणं भासेज्जा ५९ (आव० चू० भा०२, पृ०२८६) पुवावरसंजुत्तं
(आव०नि० १३००) | भज्जा जायइ माया १५० पुर्वि सीयलगोवि
) भवचरिमं पच्चक्खामि १४४ पुबोइयगुणजुत्तो
(पंचा० गा० ४६४)| भावेऊणताणं उवेइ १२५ (पंचा० गा० ४८३) पुवोइयपडिमजुओ
(उपा० टी० ५० १५)! भावेण तदस्थित्तलक्खणेण ८० पेसेहि वि आरंभ १२२ ( पंचा० गा० ४७३) | भासइ दुयं दुयं १३८ (बृह० गा० १३०७) फलफलिपत्ते पुप्फे
(नव० प्र०प०३२)| भिक्खुगपवेसणनिमित्तं १२६ बत्तीसलक्षणधरो १४० (व्य० उ०१० गा०५७९)| भीओ भीयाए समं बहुसोवि य सो जायइ ७१ (
) भुत्तभोगी पुरा १३२ (व्य० उ० १० गा० ४८८) बंधाइ असक्किरिया ११९ (पंचा० गा० ४५४)| भुनयणवयण
(बृह. गा० १३०६) | बंधो दुपयाणं चउप्पयाणं ५५ (आव० चू० भा॰ २, पृ० २८४) | भोगे अभुंजमाणावि ५४ (उप० मा० गा० १२२)
१२०
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१७६॥
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