Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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अवंतिसुकुमाल:
श्रावकधर्म-8 एत्थ तेहिं साहुहिं वधपरीसहो अहियासितो संमें, एवं अहियासेतन्यं, ण जधा खंदएण णाभियामितं । तहापश्चाशक
| "धन्नसालिम पाओवगम उवागया जुगवं । जुयलसिलासंथारे मासं तु अणूणगं धीरा ॥१॥ पडणीययाए कोई अग्गी चर्णिः।। से सवसो पदेजाहि । पाओवगए संते जह चाणकस्स व सरीरे॥२॥ पडणीययाए कोई चम्मंसे खीलएहि विहणित्ता । महुघय
मक्खियदेहं पिवीलियाणं तु देजाहि ॥३॥ जह सो चिलायिपुत्तो वोसट्ठनिसट्टचत्तदेहाउ । सोणियगंधेण पिवीलियाहि किर ॥ १४२॥
चालणि व कओ॥४॥जहऽवंतीसुकुमालो वोसट्ठनिसट्टचत्तदेहाओ। धीरो सपेल्लियाए सिवाए खइओ तिजामेणं ॥५॥" तहाहि
अजसुहत्थी उज्जेणीए जिनपडिमं बंदगा गता, उजाणे ठिता भणिया य साहू-बसहि मग्गहत्ति, तत्थ एगो संघाडओ भद्दाए सेटिभजाए घरं भिक्खस्स अतिगओ, पुच्छिता ताए-कओ भगवन्तो ?, तेहि भणियं-सुहत्थिस्स, वसहिं मग्गामो, जाणसालातो दरिसियाओ, तत्थ ठिता, अण्णया पदोसकाले आयरिया णलिणगुम्मं अज्झयणं परियडेति, तीसे पुत्तो अवंतिसुकुमालो सत्ततले पासाए बत्तीसाए भजाहिं समं उवललति, तेण सुत्तविउद्धेण सुतं, ण एतं णाडेगंति, भूमीतो भूमीयं सुणेतो २ उत्तिण्णो, बाहिं निग्गतो, कत्थ एरिसंति?, जातीसरिता, तेसिं मूलं गतो साइति-अहं अवंतिसुकुमालोत्ति णलिणगुम्मे देवो आसि, तस्स उस्सुको मि, पब्धयामि, असमत्थो दीहं सामण्णपरियागं अणुपालेत्ता, इंगिणी साहेमि, ते वि माता से णापुच्छितत्ति नेच्छति, सयमेव लोयं करेति, मा सयंगहियलिंगो होउत्ति दिगं लिंगं, मसाणं कथारकुडंग, तत्थ भत्तं पच्चक्खाति, सुकुमालएहिं पाएहिं लोहितगंधेण सिवाए सपेल्लिकाए आगमण, सिवा एकं पादं खाति एक पिल्लगाणि, पढमे जण्णुगाणि, वितिए ऊरू, ततिए पोट्ट, कालगतो गंधोदगं पुप्फवासं, आयरियाण आलोयणा, भजाणं परंपरपुच्छा, आयरिएहिं
%AROSAROS
AROSAKSCHES
१४२॥
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