Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 149
________________ श्रावकधर्मपञ्चाशक श्रावक वर्णकः चूर्णि: ॥१२५॥ राहमोयणाओ वेरमणं, खुरमुंडए वा लुत्तकेसए वा अचेलए वा एगसाडिए वा इच्चाइ एकारसमी ११"। " भावेऊणताणं उवेइ पवञ्जमेव सो पच्छा। अहवा निहत्थभावं उचियत्तं अपणो णाउं ॥१॥" किं कारणं पडिमाहि अप्पा भाविञ्जति ?; उच्यते-"गहणं पवजाए जओ अजोग्गाण णियमओऽणत्थो । ता तुलिऊणsप्पाणं धीरा एयं पवजंति ॥१॥" जड़ वि तुलणं विणावि केसिंचि सत्तविसेसाणं सम्म पवजा संभवेति तहावि सामन्नणं एस कमो णायसंगउत्ति, तथा चाह-"जुत्तो पुण एस कमो ओहेणं संपयं विसेसेणं । जम्हा असुमो कालो दुरणुचरो संजमो एत्थ ॥१॥" तओ य एवं वट्टमाणस्स एसोऽवि साबगवन्नओ सम्मं घडइ, जहा "अहिगयजीवाजीवे उवलद्धपुनपावे आसवसंवरनिन्जरकिरियाहिगरणबंधमोक्खकुसले असहिजे देवासुरनागसुवन्नजक्ख. रक्खसकिंपुरिसगरुलगंधवमहोरगाइएहिं देवगणेहि णिग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिजे निग्गंथे पावयणे निस्संकिए निकं. खिए निद्वितिगिच्छे लढे गहियढे पुच्छियद्वे विणिच्छि यद्वे अद्विमिंजपेम्माणुरागरत्ते अयमाउसो! निग्गंथे पावयणे अटे अयं परमटे सेसे अणटे, चाउद्दसमुद्दिट्टपुणिमासिणीसु पडिपुण्ण पोसह संमं अणुपालेमाणे ऊसियफलिहे अवंगुयदुवारे चियत्तंतेउर(पर)घरप्पवेसे समणे निग्गंधे फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकंबलपायपुंछयोणं ओसहभेसजेणं पाडिहारियपीढफलगसेज्जासंथारएण य पडिलामेमाणे बहूर्हि सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहि य अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ", एस सावगवन्नओ सुगम एव, नवरं आसवा-पाणाइवायाइया, संवरा-पाणाइवायविरमणाइया, निजरा-कम्मुणो देसक्खवणं, किरिया--काइयाइया, अधिकरणाणि-खग्गाइनिबत्तणसंजोयणाणि, बंधो-अहिणवकम्मग्गहणं, मोक्खो-कम्मुणो RAKAR SACREC% ॥ १२५ ॥ en Education inte For Private Personal Use Only ७. w.jainelorary.org

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