Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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श्रावकधर्मपश्चाशकचूर्णिः ।
विधि:
॥१३९॥
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दारं । "नाणस्स केवलीणं धम्मायरियाण सव्वसाहूणं । भासं अवनमाई किब्बिसियं मावणं कुणइ ॥१॥ दारं । कोउगभई-18| इङ्गिनीकम्मे पसिणापसिणे निमित्तमाजीवी । इड्डिरससायगरुओ अभिओगं भावणं कुणइ ॥ २ ॥ अणुबद्धविग्गहोऽविय संसत्ततवो
मरणपादनिमित्तमाएसो । निक्किवनिरणुकंपो आसुरियं भावणं कुणइ ॥ ३ ॥ दारं । उम्मग्गदेसओ मग्गदूसओ मग्गविष्पडिवत्ती । 18 पोपगमनमोहेण य मोहित्ता संमोहं भावणं कुणइ ॥ ४॥ एयाउ भावणाओ भाविता देवदोग्गई जति । तत्तोऽवि चुया संता पडंति भव. सागरमणंतं ॥ ५ ॥ एयाउ विसेसेणं परिहरइ चरणविग्धभूयाओ। एयनिरोहाउ च्चिय समं चरण पि पावे ॥६॥" एवं भत्तपच्च- | क्खाणं । इयाणि इंगिणिमरण
"इंगियमरणविहाणं आपवलं तु वियडणं दाउं । संलेहणं च काउं जहा समाहीए जहा कालं ॥१॥ पञ्चक्खाइ आहारं चउब्विहं | नियमओ गुरुसगासे । इंगियदेसमितहा चेहूं पि हु इंगियं कुणइ ॥२॥ उव्वत्तइ परियत्तइ काइयमाईसु होइ उ विभासा। किच्चपि अप्पणच्चिय जुंजइ नियमेण घिबलिओ ॥३॥" एवमादि इंगिणिविहाणं सुत्ताउ नायवं । इयाणिं पाओवगमणविही
"तं दुविहं नायवं नीहारिं चेव तह अनिहारी । बहिया गामाईणं गिरिकंदरमाइ नीहारि ॥१॥ वयाइसु जं अंतो उडेउमणाण ठाइ अणिहारिं । कम्हा पायवगमणं ? ज उवमा पायवेणेत्थं ॥ २॥ पाओवगमं भणियं समविसमे पायवो जहा पडिओ। नवरं परप्पयोगा कंपेज जहा फलतरुच ॥३।। परप्पओगत्ति जइ तिरिओ मणुओ देवो वा कड्डेजा, इमो य तापडिवत्तिविही"अभिवंदिऊण देवे जहाविहिं सेसए य गुरुमाई । पञ्चक्खाइ उ तओ तयंतिए सबमाहारं ।। १।। समभावंमि ठियप्पा सम्म सिद्धंतभणियमग्गेणं । गिरिकंदरं तु गंतुं पायवगमणं अह करेइ ॥ २॥ तसपाणबीयरहिए विच्छिन्नवियारथंडिलविसुद्धे ।
॥ १३९ ।।
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