Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 140
________________ सम्यक्त्वादिस्थैर्यार्थमुपदेशः चूर्णिः श्रावकधर्म- तम्हा णिच्चसईए बहुमाणेणं च अहिगयगुणमि । पडिवक्खदुगुंछाए परिणइआलोयणेणं च ।। ३६ ॥ पश्चाशक- तित्थंकर भत्तीए सुसाहुजणपज्जुवासणाए य । उत्तरगुणसद्धाए य एत्थ सया होइ जइयव्वं ॥ ३७॥ जम्हा असंतोऽवि विरइपरिणामो पयत्ताउ उप्पजइ, पयत्रं विणा पुण अकुसलकम्मोदयाउ संतोऽवि परिवडइ, तम्हा-तेण कारणेण निचसईए--अणवरयसुमरणेण, 'होइ जइयत्वं ति बीयगाहाचरमपएण सह संबंधो, तहा बहुमाणेणं-भावपडिबंधेण, ।। ११६॥ चमद्दो समुच्चये, अहिगयगुणमि-अंगीकयगुणमि संमत्ताणुबयाइए, इमं पयं पुत्वपएहिं उत्तरपएण य सह पत्तेगं जोइजइ, तहा पडिवखदुगुंछाए--मिच्छत्तपाणिवहाइदुगुञ्छाए, तहा परिणइआलोयणेणंत्ति-संमत्ताणुवयाईणं विवकखभूया मिच्छत्तपाणाइवायादयो दारुणफला, अंगीकयगुणा पुण संमत्ताणुछयाइया परमत्थहेयवोत्ति एवंविहविवागपरिभावणेण सया | जइयवं, चसदो समुच्चये ॥ ३६॥ तहा तित्थंकर भत्तीए-परमगुरुविणएण, तहा सुसाहुजणपज्जुवासणाए--भाव| जइसेवाए, चसदो समुच्चए, तहा उत्तरगुणसद्धाए-पहाणयरगुणाभिलासेण, सम्मत्ते सति अणुव्वयाभिलासेण अणुवएसु संतेसु महत्वयाभिलासेणत्ति, चमद्दो समुच्चये, एत्थति सम्मत्ताणुवयाइविसए तप्पडिबत्तिउत्तरकाले सया-सबकालं होइ जइयवं-उज्जमो कायवोत्ति । एस गाहादुगस्स अत्थो ॥ ३७ ॥ अणंतरभणिओवएसमेव फलदंसणेण निगमेइएवमसंतोऽवि इमो जायइ जाओऽवि न पडइ कयाइ। ता एत्थं बुद्धिमया अपमाओ होइ कायब्वो ॥३८॥ एवं-भणियपगारेण निच्चसुमरणाइणा पयत्ते कीरते असंतोऽवि-अविजमाणोऽवि इमोत्ति, संमतपरिणामो वयपरि Pणामो य जायइ-उप्पजइ, जाओ य न पडह कयाइ-एवं जयंतस्स संमत्ताइपरिणामो उप्पनो न कमिवि काले पडइ RRENARE Jain Education a l For Private & Personel Use Only R ww.jainelibrary.org

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