Book Title: Adya Panchashaka Curni
Author(s): Haribhadrasuri, Yashodevsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

View full book text
Previous | Next

Page 139
________________ श्रावकधर्मपश्चाशकचूर्णिः । विरतिपरिणामपातस्य चिह्नम् | "नो मे कप्पइ अनउस्थिए वा" एवमादि, तहा-"परिसुद्धजलग्गहणं दारुयधनाइयाण तह चेव । गहियाणवि परिभोगो विहीए तसरक्खणढाए ॥१॥" एवमादि, तहा विसओ--संमत्तवयाण गोयरो, तत्थ संमत्तस्स विसओ जीवाजीवाईतत्तसरूवो, वयविसओ पुण थूलसंकप्पियजीवाइसरूवो, एए उवायादयो इह विसेसेण अभणियावि आगमाओ नायबा, किंचि वि पुत्वं दंसिया य, कहं नायबा ?, भन्ना-'कुंभारचक्कभामगदंडाहरणेणंति' कुंभारचक्कस्म भामगो-भमणकारणं जो दंडो तल्लक्खणं जं उदाहरणं तेण धीरेहि-बुद्धिमंतेहिं, किं भणियं होइ?, भन्नइ-जहा कुंभारचक्कस्स दंडाउ भमण होइ एवं उवायादओ सुत्ताउ धीरेहिं नायबा ॥ ३५ ॥ संपयं गहियसंमत्तवएण संमत्तवयपरिणामथिरत्तनिमित्तं जे कायई तम्भणणत्थं इमं ताव भन्नइगहणा उवरि पयत्ता होइ असंतोऽवि विरइपरिणामो। अकुसलकम्मोदयओ पडइ अवण्णाइ लिंगमिह। ३५॥ . गहणा- 'गुरुमूले सुयधम्मों' एवमाइविहिणा संमत्तवयपडिवत्तीउ उवरि-उत्तरकाले पयत्ताउ-उज्जमाउ सगामाउ होइ असंतो वि-कम्मदोसाउ अविजमाणोवि विरहपरिणामो-उवलक्खणं च एसो तेण सम्मत्तपरिणामोऽवि दहावो, पयत्तंउज्जम अकरितस्स दोसमाह-अकुसलकम्मोदयउ-असुहकसायाइकमाणुभावाओ पडइ हुँतो वि वयगहणस्स उवरि पयत्तं विणा विणस्सइ विरहपरिणामो, तप्पडिवाओ य लिंगेण नजइ, अतो तं चेव दंसेइ - अवन्नाइ लिंगमिहत्ति अवनो--बयाणं क्यदेसणगाणं वा वयधारगाणं वा अगुणथुइ, अहवा अवन्ना-अणायरो तयाईणं, आइसद्दाउ वयरक्खणोवाए अप्पवित्तिमाइयं च लिंग-लक्खणं चिंधति एगटुं, इहत्ति वयपरिणामपडिवाये ॥३५ ।। न य एवं वत्तवं विरइपरिणामाभावे कहं वयगहणंति ? | उवरोहाइणा वयगहणसंभवाउ, सुवंति हि अणंताणि दवओ समणत्तसावगत्तगणाणित्ति पुबसूइयं उपएममेव भणइ ARKESTRACRORESCAPACREAL Jain Education in For Private & Personel Use Only Callww.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218