Book Title: Adinath Stotra arthat Bhaktamar Stotra
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 15
________________ नमो वीतरागाय । श्रीमन्मानतुङ्गसूरिविरचित आदिनाथस्तोत्र | भाषाटीका तथा पद्यानुवादसहित । वसन्ततिलकावृत्तम् । भक्तामरप्रणतमौलिमणिप्रभाणामुद्द्योतकं दलितपापतमोवितानम् । सम्यक्प्रणम्य जिनपादयुगं युगादावालम्बनं भवजले पततां जनानाम् ॥१॥ यः संस्तुतः सकलवाङ्मयतत्त्वबोधादुद्भूतबुद्धिपटुभिः सुरलोकनाथैः । स्तोत्रैर्जगत्रितयचित्तहरै रुदारैः स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम् ॥२॥ [ युग्मम् ] १ " भवनिधौ” ऐसा भी पाठ है । २ सस्कृतमे कहीं २ एकसे अधिक अनेक श्लोकोका इकट्ठा अन्वय होता है । जहा दो श्लोकोंका एकत्र अन्वय हो, उसे युग्म कहते हैं । यहा भी युग्म है ।

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