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36... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे?
वान वैराग्य मुद्रा
निर्देश- यह मुद्रा ऊपर निर्दिष्ट किसी भी आसन में 48 मिनट तक की जानी चाहिए। सुपरिणाम
इस मुद्रा के द्वारा ज्ञान मुद्रा के सभी लाभ प्राप्त होते हैं। इसके सिवाय मानसिक दृष्टि से चेतना केन्द्र स्थिर बनता है, मानसिक संताप दूर होते हैं तथा विशिष्ट प्रकार के आनन्द का उद्भव होता है।
. अध्यात्म स्तर पर उस व्यक्ति में वैराग्य की भावना विकसित होती है। इस मुद्रा प्रभाव से व्यक्ति गृहस्थ जीवन में रहकर भी मोह से विरक्त और निष्पाप जीवन जी सकता है।
. वैराग्य मुद्रा की मुख्य विशेषता यह है कि इसके नियमित अभ्यास से साधक बिना किसी मंत्रोच्चारण के परम ज्ञान (वीतराग भाव) को प्राप्त होता है तथा निष्काम भक्ति जन्म लेती है। यह मद्रा बिजली के स्विच की भाँति है जिसका बटन ऑन करने से (अंगुली के निर्धारित स्थान को दबाने से) मस्तिष्क ज्ञान की रोशनी से जगमगा उठता है।