Book Title: Adhunik Chikitsa Me Mudra Prayog Kyo Kab Kaise
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 202
________________ 136... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? आध्यात्मिक रोगोपचार की मुद्राएँ क्रोध, मान, माया, लोभ, वाचालता, भय, ईर्ष्या, प्रमाद- पूर्णज्ञान मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, वरुण मुद्रा, आदिति मुद्रा, अनुशासन मुद्रा, आशीर्वाद मुद्रा, सुरभि मुद्रा, पृथ्वी सुरभि मुद्रा, प्राण मुद्रा। ____ सप्त व्यसन की लत, चंचलता, कामुकता, अभिमान- ज्ञान-ध्यान मुद्रा, बोधिसत्त्वज्ञान मुद्रा, वायु मुद्रा, शून्य मुद्रा, समन्वय मुद्रा, आदिति मुद्रा, जलोदर नाशक मुद्रा, पंकज मुद्रा, लिंग मुद्रा, किडनी मूत्राशय मुद्रा, प्रज्वलिनी मुद्रा, अनुशासन मुद्रा, सुरभि मुद्रा, जल सुरभि मुद्रा, प्राण मुद्रा, कामजय मुद्रा। आत्मबल की कमी, एकाग्रता की कमी, शंकालु वृत्ति- ज्ञान-ध्यान मुद्रा, अभयज्ञान मुद्रा, बोधिसत्त्व ज्ञान मुद्रा, शून्य मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, सूर्य मुद्रा, समन्वय मुद्रा, हंसी मुद्रा-2, जलोदरनाशक मुद्रा, शंख मुद्रा, पंकज मुद्रा, हार्ट मुद्रा, आशीर्वाद मुद्रा, सुरभि मुद्रा, जलसुरभि मुद्रा, पृथ्वी सुरभि मुद्रा, वायु सुरभि मुद्रा, अपान मुद्रा। ___ वाणी पर अनियंत्रण, असंवेदनशीलता, निष्ठुर हृदयी, हिंसकभावना- ज्ञान मुद्रा, ज्ञान ध्यान मुद्रा, अभय ज्ञान मुद्रा, पूर्णज्ञान मुद्रा, वायु मुद्रा, वरुण मुद्रा, हंसी मुद्रा-2, सहजशंख मुद्रा, लिंग मुद्रा, बंधक मुद्रा, प्रज्वलिनी मुद्रा, हार्ट मुद्रा, सुरभि मुद्रा, शून्य सुरभि मुद्रा, वायु सुरभि मुद्रा, प्राण मुद्रा, अपान मुद्रा, व्यान मुद्रा। ज्ञान का अभिमान, मायाचारी, कुटिल वृत्ति- ज्ञान मुद्रा, ज्ञान वैराग्य मुद्रा, सूर्य मुद्रा, मृगी मुद्रा, पुस्तक मुद्रा, प्रज्वलिनी मुद्रा, सुरभि मुद्रा, वयन मुद्रा। मृत्यु भय, स्वरमणता की कमी, अनुत्साह, आनंद की कमी- ज्ञान वैराग्य मुद्रा, तत्त्वज्ञान मुद्रा, आकाश मुद्रा, हंसी मुद्रा-1, मृगी मुद्रा। समाहार रूप में कहा जा सकता है कि मानव शरीर एक स्वसंचालित यंत्र है। इसके द्वारा जब जैसी आवश्यकता हो वैसा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है। मानव शरीर रूपी भवन में वह सभी सुविधाएँ मौजूद है जिनके द्वारा जीवन

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