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62... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे?
समन्वय मुद्रा
कुछ विद्वानों के मतानुसार यह मुद्रा शान्ति एवं पुष्टि (सांसारिक सुख की प्राप्ति) के लिए की जाती है।
विधि
इस मुद्राभ्यास के लिए अत्युत्तम पद्मासन या सुखासन में बैठ जायें। तत्पश्चात पाँचों अंगुलियों के अग्रभागों को मिलाकर मुद्राकृति को इस तरह रखें कि अंगूठों का अग्रभाग भूमि की ओर रहें तथा चारों अंगुलियों के नाखून आसमान की ओर रहें। इस तरह समन्वय मुद्रा अर्थात सूकरी मुद्रा बनती है। 8
निर्देश - 1. इस मुद्रा के लिए पद्मासन या सुखासन अति उपयोगी है। 2. इस अभ्यास के लिए पाँच मिनट से लेकर अड़तालीस मिनट तक का समय बढ़ाया जा सकता है। एक समय में इससे अधिक प्रयोग न करें, क्योंकि शक्ति का संतुलन तो उचित है किन्तु अधिक शक्ति अनर्थ भी करती है अत: संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। 3. इसका प्रयोग इच्छानुसार किसी भी समय किया जा सकता है।