Book Title: Adhunik Chikitsa Me Mudra Prayog Kyo Kab Kaise
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 166
________________ 100... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? 25.2. जल सुरभि मुद्रा दोनों हाथों की कनिष्ठिका अंगुली जल तत्त्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस मुद्रा में अंगूठे (अग्नि तत्त्व) को कनिष्ठिका अंगुली के मूल भाग से योजित किया जाता है इसलिए इस मुद्रा को जल सुरभि मुद्रा कहते हैं। विधि सुखासन या किसी भी ध्यानोपयोगी आसन में बैठकर पूर्ववत सुरभि मुद्रा बनाएँ। फिर दोनों अंगूठों के अग्रभागों को कनिष्ठिका अंगुलियों के मूलभाग पर स्पर्शित करने से जल सुरभि मुद्रा बनती है । जल सुरभि मुद्रा सुपरिणाम जल सुरभि मुद्रा में अग्नि तत्त्व और जल तत्त्व का संयोजन होता है। इससे जल के बढ़ने या कमी होने के कारण किसी तरह का विकार उत्पन्न हुआ हो तो शान्त हो जाता है।

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