Book Title: Adhunik Chikitsa Me Mudra Prayog Kyo Kab Kaise
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 186
________________ 120... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? • इस मुद्रा का अभ्यासी साधक निम्न शक्ति केन्द्रों को जागृत करते हुए तज्जनित कई लाभों को प्राप्त करता है चक्र- मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्व- अग्नि एवं जल तत्त्व प्रन्थिप्रजनन ग्रन्थि केन्द्र-शक्ति एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग-प्रजनन अंग, मल-मूत्र अंग, मेरूदण्ड, गुर्दे आदि। • एक्युप्रेशर के आधार पर इसमें साइनस, मस्तिष्क, पिच्युटरी ग्रंथि एवं पिनियल ग्रन्थि के पोइन्ट भी दबते हैं। जिससे सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, नजला, खाँसी, कफ जैसे रोगों का शमन होता है और प्रन्थियों के स्राव नियंत्रित होकर शारीरिक शक्तियों का विकास करते हैं। • हिन्दू धर्म में इस मुद्रा का प्रयोग जाप, अनुष्ठान एवं यज्ञ आदि के वक्त भी किया जाता है। 31. अपान वायु मुद्रा अपान मुद्रा एवं वायु मुद्रा के संयोग से निर्मित मुद्रा को अपान वायु मुद्रा कहते हैं। इस मुद्रा में अपान मुद्रा और वायु मुद्रा का सम्मिश्रण है। अपान वायु मद्रा

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