Book Title: Adhunik Chikitsa Me Mudra Prayog Kyo Kab Kaise
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 190
________________ 124... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? चक्र- विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व प्रन्थिथायरॉइड, पेराथारॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- कान, नाक, गला, मुख, स्वरयंत्र, स्नायु तंत्र, निचला मस्तिष्क शारीरिक समस्याएँ- आयुवृद्धि, ब्रेन ट्युमर, कोमा, सिरदर्द, मिरगी, अनिद्रा, पागलपन, गठिया, बहरापन, गले, मुख, कंठ आदि की समस्या, कानों का संक्रमण दूर होता है। भावनात्मक समस्याएँ- भावनाओं में रूकावट, व्यवहार अनियंत्रण, आंतरिक चिंता, अध्यात्म एवं अनुशासन की कमी, भय, घबराहट, निष्क्रियता, अहंकार, अज्ञानता, स्मृति समस्या, मानसिक विकार आदि का निवारण होता है। 33. कामजय मुद्रा कामजय शब्द का अर्थ अत्यन्त स्पष्ट है। काम अर्थात विषय-वासनाओं पर विजय प्राप्त करने के लिए जो मुद्रा की जाती है उसे कामजय मुद्रा कहते है। यह मुद्रा अपने नाम के अनुसार कामभोग की वासना को नियन्त्रित करने में परम सहायक है। इस मुद्रा के द्वारा कामजित तीर्थकर पुरुषों अथवा घर देवों का स्मरण किया जाता है अतः कामजयी आत्मपुरुषों की सूचक मुद्रा है। यह मुद्रा योग परम्परा में उसके श्रद्धालुओं और आराधकों के द्वारा धारण की जाती है। कामजय मुद्रा

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