Book Title: Adhunik Chikitsa Me Mudra Prayog Kyo Kab Kaise
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 172
________________ 106... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? 26. प्राण मुद्रा शरीर में शक्ति के अनेक स्रोत हैं उनमें वायु का स्थान महत्त्वपूर्ण है। देहाश्रित वायु भी दस तरह की मानी गई है उन वायुओं में पाँच वायु मुख्य हैं जिसे पंच प्राणतत्त्व कहते हैं। इन पाँच वायुओं के नाम हैं- प्राण, अपान, उदान, व्यान और समान। इन पाँचों वायुओं को शरीर में सुव्यवस्थित रखने के लिए पाँच मुद्राएँ हैं। इन पाँचों वायुओं में प्राण और अपान वायु सबसे श्रेष्ठ हैं। प्राण और अपान वायु संतुलित हों तो योग साध्य होता है। योग और प्राणायाम के प्रयोगों से प्राण और अपान वायु सम बनती हैं, परन्तु प्राण और अपान मुद्रा का अभ्यास करने से योग सिद्ध होता है। प्राण मुद्रा संस्कृत व्याकरण के नियमानुसार प्राण शब्द की उत्पत्ति प्र उपसर्ग और अन् + अच् अथवा घञ् प्रत्यय से हुई है। प्राण के शाब्दिक अर्थ अनेक हैं किन्तु वे सभी समानार्थक ही मालूम होते हैं जैसे- श्वास, जीवन शक्ति, जीवन, जीवनदायी वायु,जीवन का मूल तत्त्व, अन्दर खींचा हुआ श्वास, ऊर्जा, बल,

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