Book Title: Adhunik Chikitsa Me Mudra Prayog Kyo Kab Kaise
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 150
________________ 84... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? किडनी मूत्राशय मुद्रा दोनों अंगुलियों पर अंगूठे को हल्का सा दबाव देते हुए रखें तथा शेष दो अंगुलियों को सीधा रखना किड़नी मूत्राशय मुद्रा है।17 निर्देश- 1. इस मुद्रा का प्रयोग सुखासन एवं वज्रासन में करना श्रेष्ठ है। 2. इसका प्रारम्भिक अभ्यास 8-10 मिनट का हो। थोड़े दिनों के बाद एक-एक मिनट करके 48 मिनट की अवधि बढ़ा सकते हैं। 3. यह मुद्राभ्यास तज्जन्य रोगों का निवारण न हों तब तक उचित सीमा में ही करें। वैसे इच्छानुसार इसका प्रयोग किसी भी समय कर सकते हैं। सुपरिणाम ___इस मुद्राभ्यास से जलोदर नाशक मुद्रा के सभी लाभ मिलते हैं। एक्युप्रेशर चिकित्सज्ञों के अनुसार यह मुद्रा कफ निवारण, ऊर्जा संतुलन, श्वास सम्बन्धी रोग, तनाव आदि का निवारण करती है। इसके अतिरिक्त किड़नी एवं मूत्राशय जनित बीमारियों का शमन होता है।

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